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साइबर ठगों का नया जाल... दूर बैठ के खाली किए 500 लोगों के बैंक अकाउंट, 300 रुपए में हासिल करते थे SIM

Delhi Crime News: चौंकाने वाली बात यह थी कि पीड़ित ने न तो ओटीपी साझा किया और न ही कार्ड की जानकारी दी, फिर भी ठगों ने उनका खाता खाली कर दिया. इस शिकायत के बाद पुलिस ने तुरंत कई मामलों में एफआईआर दर्ज की.

पुलिस गिरफ्त में आरोपी. पुलिस गिरफ्त में आरोपी.
हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली ,
  • 13 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 9:56 AM IST

दिल्ली के आउटर नॉर्थ जिला पुलिस ने साइबर ठगों के एक खतरनाक गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो बाहरी दिल्ली से पूरे देश में लोगों के बैंक खातों को खाली कर रहा था. पुलिस ने गैंग के तीन शातिर सदस्यों- अजय, राकेश और जयदीप को गिरफ्तार किया है, लेकिन इस ठगी के मास्टरमाइंड की तलाश अभी जारी है. यह गिरोह अब तक 500 से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बना चुका है.
 
दरअसल, बीती 11 फरवरी को दिल्ली पुलिस को एक शिकायत मिली, जिसमें पीड़ित ने बताया कि क्रेडिट कार्ड बनवाने के झांसे में उनके मौजूदा क्रेडिट कार्ड से 21,000 रुपये निकाल लिए गए. चौंकाने वाली बात यह थी कि पीड़ित ने न तो ओटीपी साझा किया और न ही कार्ड की जानकारी दी, फिर भी ठगों ने उनका खाता खाली कर दिया. इस शिकायत के बाद पुलिस ने तुरंत कई मामलों में एफआईआर दर्ज की और इंस्पेक्टर रमन कुमार सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की.

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मनी ट्रेल ने खोला राज
जांच शुरू होते ही पुलिस ने मनी ट्रेल को ट्रैक करना शुरू किया. इस दौरान कुछ मोबाइल नंबरों का पता चला, लेकिन जब पुलिस इन नंबरों के मालिकों तक पहुंची तो सामने आया कि ये सिम आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के नाम पर 300 से 500 रुपये में खरीदे गए थे. मनी ट्रेल के आधार पर पुलिस ने तीन आरोपियों- अजय, राकेश और जयदीप की पहचान की और सबूत जुटाने के बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ में कबूला गुनाह
गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में तीनों आरोपियों ने अपना अपराध कबूल कर लिया. उन्होंने बताया कि वे अपने मास्टरमाइंड के निर्देशों का पालन करते थे और इसके बदले उन्हें कमीशन मिलता था. गैंग का मास्टरमाइंड अभी फरार है और पुलिस उसकी तलाश में छापेमारी कर रही है.

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ठगी का तरीका: फर्जी वेबसाइट और कॉल सेंटर का खेल
इस गैंग ने ठगी के लिए बड़े बैंकों के नाम पर फर्जी वेबसाइट्स बना रखी थीं. राकेश एक कॉल सेंटर चलाता था, जहां से लोगों को फोन किए जाते थे. सिम का इंतजाम अजय करता था, जो गरीब लोगों को 300-500 रुपये देकर उनके नाम पर सिम लेता था. ठगी के बाद ये सिम तोड़कर फेंक दिए जाते थे. कॉल सेंटर से क्रेडिट कार्ड बनवाने का ऑफर देने पर इच्छुक लोगों को एक फॉर्म भेजा जाता, जिसमें बैंक डिटेल और पैन कार्ड की जानकारी मांगी जाती. इसके बाद एक लिंक भेजकर फोन को क्लोन कर लिया जाता था. जैसे ही ओटीपी आता, ठगों को पता चल जाता और वे खाता खाली कर देते.

देशभर में 500 से ज्यादा शिकार
पुलिस के अनुसार, इस गैंग ने पूरे देश में 500 से अधिक लोगों को ठगा है. यह गिरोह तकनीक का इस्तेमाल कर बिना ओटीपी या कार्ड डिटेल शेयर किए खातों से पैसे निकाल लेता था. गिरफ्तार आरोपियों के पास से कई फर्जी सिम, मोबाइल और अन्य उपकरण बरामद किए गए हैं.

पुलिस की कार्रवाई जारी
आउटर नॉर्थ जिला पुलिस इस मामले में मास्टरमाइंड की तलाश में जुटी है. साथ ही, लोगों से अपील की गई है कि वे अनजान लिंक पर क्लिक करने और अपनी बैंक जानकारी साझा करने से बचें. यह घटना साइबर ठगी के बढ़ते खतरे को दर्शाती है, जिससे निपटने के लिए जागरूकता और सख्त कार्रवाई की जरूरत है.

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