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अब भक्त भी कर रहे हैं बाबाओं से तौबा

आनंद दुबे तो बाबाओं के अस्तित्व को ही खारिज कर रहे हैं. दुबे के मुताबिक बाबा के पास कोई छड़ी नहीं होती. वो भी हमारी तरह इंसान हैं. लेकिन अपने आपको भगवान बताने पर तुले हुए हैं.

गुरमीत राम रहीम गुरमीत राम रहीम
कपिल शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 30 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 11:25 PM IST

आस्था अंधी होती है, भक्ति सिर्फ भावनाएं देखती है और भक्तों की यही अंधश्रद्धा है जो पहले इंसान को बाबा और फिर उसे भगवान बना देती है. अंधभक्तों के सामने बाबा अपना ऐसा आभामंडल बना लेते हैं कि उनके पीछे चलने वालों की सोचने समझने और अच्छे बुरे का फैसला लेने की शक्ति जाती रहती है. धीरे-धीरे बाबा से भगवान बने इंसान अंधभक्तों को अपने इशारों पर ऐसे नचाते हैं, मानो वो जीते जागते मनुष्य न हों, बल्कि उंगलियों पर नाचने वाली कठपुतली हों. लेकिन जब आभामंडल का ये मायाजाल टूटता है, तो बाबा के खोल से गुरमीत राम रहीम निकलता है, क्योंकि वो भगवान के चोले में अपनी तथाकथित शक्तियों के मद में इतना चूर हो चुका होता है, कि इंसान को इंसान नहीं समझता और सृष्टि को अपने हिसाब से चलाने का भ्रम पाल लेता है. इसीलिए अब भक्तों की भक्ति बाबा से हटकर भगवान पर लौट रही है. अब भक्तों को समझ आ रहा है कि परमात्मा तो एक ही है, फिर बाबाओं की क्या जरूरत.

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क्योंकि न गुरमीत राम रहीम पहला बाबा है और न ही आखिरी होगा, जिसने अपने मायाजाल में लोगों को ऐसा फंसाया कि अनुयायी से लोग अंध भक्त बन गए, लेकिन राम रहीम के कांड ने दूसरे धर्मगुरुओं के कान जरूर खड़े कर दिये हैं. वो इसलिए क्योंकि अब बाबा नाम सुनते ही भक्तों का भक्ति वाला एंटीना भी खड़ा होने लगा है. राम रहीम की करतूतों ने धर्म कर्म में भरोसा रखने वाले लोगों को अंदर तक हिला दिया है. अब वो न तो बाबाओं पर भरोसा करने को तैयार हैं न ही उनके बाबत्व वाले चमत्कारों पर. सुनिए जब हमने भक्तों से राम रहीम का नाम लेकर बाबाओं पर भरोसा करने वाला सवाल दागा तो भक्तों के दिल की बात किन शब्दों में जुबां पर आयी.

कालकाजी मंदिर में दर्शन के लिए आईं मोनिका कहती हैं कि बाबाओं पर भरोसा क्यों करना, जब आपका डायरेक्ट कनेक्शन भगवान से है. मंदिर आइए वहीं भगवान मिल जाएंगे, नहीं तो सच्चे दिल से याद करो भगवान जरूर सुनेंगे.

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आनंद दुबे तो बाबाओं के अस्तित्व को ही खारिज कर रहे हैं. दुबे के मुताबिक बाबा के पास कोई छड़ी नहीं होती. वो भी हमारी तरह इंसान हैं. लेकिन अपने आपको भगवान बताने पर तुले हुए हैं.

सतीश कुमार पूरे परिवार के साथ मंदिर में दर्शन करने पहुंचे तो बोले की बाबा भ्रम है. भक्ति की शक्ति देखनी है, तो भगवान से दिल लगाइए लेकिन लोग बाबाओं के पीछे पागल हैं. उनकी पत्नी भी सुर में सुर मिलाती हैं. कहती हैं कि बाबा पर अंधभक्ति लुटाने का अंजाम राम रहीम के केस में देख लिया. अब लोगों को भी और तथाकथित बाबाओं को भी सावधान हो जाना चाहिए.

 

भक्तों की आंखें फौरी तौर पर खुली हैं या फिर उन्हें कोई नया बाबा अपने मायावी संसार का चमत्कार दिखाकर फिर अपने बस कर लेगा, ये तो कहना मुश्किल है, लेकिन हां गुरमीत राम रहीम की करतूतों का कम से कम इतना असर तो होना ही चाहिए कि धर्मगुरु कम से कम धर्म के मुताबिक ही कर्म करें और गुरमीत के सबक को जरूर याद रखें.

 

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