
दिल्ली विधानसभा की पिटीशन कमेटी की सोमवार को बैठक हुई. बैठक काफी गरमा गरम रही. बैठक में दिल्ली के अस्पतालों में दवाओं की कमी और डेटा ऑपरेटरों की अनुपस्थिति से संबंधित मुद्दों को उठाया गया. इस दौरान कमेटी ने राज्य सरकार के प्रधान वित्त सचिव की ओर से गंभीर लापरवाही को देखते हुए उन्हें अपनी यादाशत का इलाज करने की सलाह दे दी.
मामले की जानकारी देते हुए कमेटी सदस्य व विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'दिल्ली के अस्पतालों में महीनों से चली आ रही समस्या वित्त विभाग के प्रधान सचिव के कारण हुई, जिन्होंने झूठ बोलकर पिटीशन कमेटी को गुमराह किया. पिटीशन कमेटी ने मामले को भेज दिया है. प्रधान वित्त सचिव के इस रवैये पर सख्त कार्रवाई की सिफारिश के साथ विशेषाधिकार समिति को भेजा गया है.'
सौरभ भारद्वाज का बयान
विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा, कुछ समय से पिटीशन कमेटी दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में जानबूझकर डाटा एंट्री ऑपरेटरों की कमी की जांच कर रही थी. ये वो लोग होते हैं जो मरीजों का ओपीडी कार्ड बनवाने में मदद करते हैं, जिसके बाद मरीज को पता चलता है कि उसे किस डॉक्टर से संपर्क करना है. इस मुद्दे पर पिछली बैठकों में हमने प्रमुख सचिव (वित्त) और प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) को तलब किया था, और उन्होंने इस समस्या के लिए अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों को दोषी ठहराया.
इसलिए आज की बैठक के लिए हमने अस्पतालों के लगभग तीन दर्जन चिकित्सा अधीक्षकों को बुलाया और शपथ के तहत उनके बयान दर्ज किए और उनसे पूछा कि अस्पतालों में डीईओ की जान-बूझकर कमी क्यों की जा रही है, जिससे छह महीने तक अस्पतालों में पूरी तरह से अव्यवस्था रही. सभी चिकित्सा अधीक्षक, जो पेशे से डॉक्टर हैं. उन्होंने हमें शपथ दिलाकर संकेत दिया कि प्रमुख सचिव (वित्त) आशीष चंद्र वर्मा और उनके विभाग के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है.'
दो घंटे की देरी से आए प्रधान सचिव
सौरभ भारद्वाज ने कहा, दो घंटे की देरी से बैठक में आए प्रधान सचिव (वित्त) आशीष चंद्र वर्मा से जब ये सवाल पूछे गए तो अधिकारी ने समिति की शपथ के तहत मांगी गई जानकारी देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह पिटीशन कमेटी द्वारा मांगी गई प्रासंगिक जानकारी उपलब्ध नहीं करा पाएंगे. क्योंकि मामले से संबंधित फाइलें फिलहाल उनके पास नहीं हैं. जब समिति ने उनसे संबंधित फाइल प्राप्त करने के लिए कहा तो उनके उप सचिव श्री शर्मा ने कहा कि वे सचिवालय से फाइल ले लेंगे.
विधायक ने कहा, उस समय उप सचिव के हाथ में एक फाइल थी और कमेटी द्वारा जब इस फाइल को दिखाने को कहा गया तो यह वही फाइल थी जिसके लिए आशीष चंद्र वर्मा कह रहे थे कि फाइल उनके पास नहीं है. इससे साबित हुआ कि आशीष चंद्र वर्मा शपथ के तहत समिति से झूठ बोल रहे थे.
वित्त सचिव पर कई आरोप
कमेटी ने जो फाइल मांगी थी, वह उस समय उनके पास थी, लेकिन वित्त सचिव यह कहकर कमेटी को गुमराह करने की कोशिश कर रहे थे कि फाइल उनके पास नहीं है. बैठक में मौजूद सभी लोगों ने देखा कि वह कमेटी से झूठ बोल रहे थे. पिछली तीन बैठकों में भी उनसे जो भी जानकारी मांगी गई थी, उस पर वे समिति को गुमराह करने की कोशिश कर रहे थे. वह लगातार जवाब देते रहे कि कमेटी ने उनसे जो जानकारी मांगी थी, वह उन्हें याद नहीं है. सरकारी अस्पतालों में ओपीडी काउंटरों पर मदद नहीं मिलने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वह बहुत ही आकस्मिक और असंवेदनशील था.
उन्होंने कहा कि समिति के सदस्यों ने निर्णय लिया कि इस मामले को विधान सभा की विशेषाधिकार समिति को भेजा जायेगा. समिति ने उनके आचरण को निराशाजनक पाया और निर्णय लिया कि वह अधिकारी के आचरण के बारे में केंद्र सरकार, गृह मंत्रालय और लोकसभा अध्यक्ष को लिखेंगे. उनके लापरवाह रवैये के कारण ही शहर के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को परेशानी हो रही है.