
दिल्ली (Delhi) के बीएसए अस्पताल से चार महीने के मासूम बच्चे की किडनैपिंग हुई थी. भलस्वा इलाके के जेजे कॉलोनी की रहने वाली महिला ने रोहिणी थाने में बेटे के किडनैप होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. 6 फरवरी को दर्ज कराई गई शिकायत के बाद पुलिस ने अपहृत बच्चे की तलाश के लिए सर्च टीम तैयार की थी.
जांच के दौरान पुलिस ने 600 सीसीटीवी की फुटेज की जांच की. ई-रिक्शा की पहचान और पेटीएम नंबर की जानकारी लेने के बाद तीन महिलाओं और एक पुरुष आरोपी को इस मामले में गिरफ्तार किया है. आरोपियों में बच्चा खरीदने वाली महिला और उसकी सगी बहन भी शामिल है.
सीसीटीवी में नजर आया था आरोपी, गोद में था बच्चा
जिले के डीसीपी की बनाई जांच टीम की आगुवाई एसएचओ नॉर्थ (रोहिणी) भूपेश कुमार कर रहे थे. सबसे पहले तो किडनैप हुए बच्चे की तस्वीर आस-पास के सभी जिलों के थानों को भेजी गई. इसके बाद टीम ने अस्पताल सहित आस-पास के इलाकों के 600 सीसीटीवी फुटेज खंगाले.
अस्पताल के सीसीटीवी में 5 फरवरी को शाम 4.20 मिनट नीली जैकेट और नीली जींस पहना व्यक्ति आता हुआ नजर आया था. अगले दिन 6 फरवरी की सुबह करीब 9 बजे वही युवक गोद में बच्चे को लेकर जाता दिखाई दिया था. जाते वक्त युवक के चेहरे पर मास्क लगा हुआ था.
ई-रिक्शा की हुई पहचान
रोहिणी के सेक्टर 11 में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच के दौरान आरोपी अपहृत मासूम को गोद में लिए नीले रंग के ई-रिक्शा में जाता नजर आया था. ई-रिक्शा के रूट का पता लगाने के लिए आगे के इलाके के सभी सीसीटीवी चेक किए गए.
ई-रिक्शा जिस कंपनी का था, पुलिस ने उससे संपर्क किया. ई-रिक्शा की पहचान के बाद कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर से संपर्क किया गया. पता चला कि नीले रंग की 200 ई-रिक्शा बेची गई हैं. फिर गहन छानबीन के बाद ई-रिक्शा की पहचान उसके नंबर के आधार पर की गई. इसके चालक का नाम रामेश्वर होने की जानकारी मिली.
पेटीएम ने खोली पोल, पकड़े गए आरोपी
पुलिस ने रामेश्वर को पकड़ा और उससे पूछताछ की. उसने बताया कि 6 फरवरी की सुबह लगभग 9.30 बजे रोहिणी के सेक्टर-18 में पार्क के पास एक व्यक्ति को छोड़ा था, जिसके साथ एक छोटा बच्चा था. यात्री ने एक महिला को फोन कर बुलाया था. उन दोनों के पास ई-रिक्शा चालक को भुगतान करने के लिए पैसे भी नहीं थे. महिला ने बबलू नाम के दुकानदार को 100 रुपये पेटीएम किए थे. बाद में दुकानदार ने मुझे 100 रुपये नकद दिए थे.
जानकारी मिलने के बाद पुलिस टीम ने बबलू का पता लगाया. उसके मोबाइल की डिटेल से पेटीएम की डिटेल निकाली. जिस तारीख को पेमेंट हुआ था, उसकी जानकारी ली गई. महिला के मोबाइल नंबर का पता लगाने के लिए पेटीएम से संपर्क किया गया.
10/11 फरवरी की रात को पेटीएम से महिला के बारे में जानकारी हालिस की गई. जिस महिला के नाम पर वह नंबर था वह समयपुर बादली के संजय कॉलोनी में रहने वाली रानी (बदला हुआ नाम) के निकली.
रानी, रीना, सीमा और आलोक पकड़े गए
पुलिस टीम ने रानी के घर पर छापेमारी की, लेकिन वह अपने घर पर नहीं मिली. बाद में सीडीआर के आधार पर उसकी लोकेशन बादली गांव में मौजूद उसके ऑफिस की मिली. पुलिस ने वहां से उसे हिरासत में लिया. पूछताछ ने रानी ने तीन अन्य आरोपी सीमा, रीना (दोनों बदले हुए नाम) और आलोक के बारे में जानकारी दी. पुलिस ने एक के बाद एक करके तीनों को उठाया. साथ ही उनके पास से अपहृत बच्चे को सही सलामत रेस्क्यू किया.
बेटे की चाहत में कराया बच्चा चोरी - रीना
आरोपी रीना से पूछताछ में पता चला कि वह विधवा है और उसकी 14 साल, 12 और 10 साल की तीन बेटियां हैं. उसके कोई पुत्र नहीं है. वह एक बेटा चाहती थी. इसलिए उसने अपनी सगी बहन सीमा से संपर्क किया, जिसने रानी को सारी बात बताई. फिर रानी ने अपने अपने प्रेमी आलोक से बात की थी. आलोक ने 3.40 लाख रुपये में बच्चे की व्यवस्था कराने का वादा किया था.
मिले रुपयों से खरीदी अपाचे बाइक
पुलिस के मुताबिक, आरोपी अस्पताल पहुंचा और मौका मिलते ही वहां से चार महीने के बच्चे को अगवा कर फरार हो गया था. पुलिस ने बताया कि बच्चे के बदले आलोक को 3 लाख 40 हजार रुपये मिले थे. इसके बाद उसने 1 लाख 20 हजार रुपये नकद देकर अपाचे बाइक खरीदी थी.
पुलिस ने आगे कहा कि बच्चे को सही सलामत उसके परिवार को सौंप दिया गया है. वहीं, तीनों महिलाओं और आरोपी पुरुष के खिलाफ अपहरण की धाराओं सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया है.