
2012 में निर्भया के साथ हुए गैंगरेप की घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया है कि सभी थाने और पुलिस चौकियों में एक महीने के भीतर और राजधानी के सभी संवेदनशील स्थानों पर एक साल के भीतर सीसीटीवी कैमरे लगा दिए जाएंगे. सभी कैमरे अत्याधुनिक होंगे जो किसी भी परिस्थिति में काम कर सकेंगे. कोर्ट ने सरकार से स्टेटस रिपोर्ट अगली सुनवाई से पहले दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.
सरकार ने कोर्ट को बताया है कि 182 थानों में से 170 थानों में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं और 53 चौकियों में कैमरे के तार लगा दिए गए हैं. जबकि बाकी कैमरा लगाने का काम महीने के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा. साथ ही संवेदनशील 44 थानों में 6 अप्रैल तक कैमरे लगा दिए जाएंगे. कुल 404.32 करोड़ रुपए की लागत से 6630 कैमरे लगेंगे. दिल्ली सरकार ने यह भी कहा है कि कैमरे थाने के आगे, पीछे, कॉरिडोर, लॉकअप, मालखाना, सभी कमरे और अन्य जगहों पर लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा राजधानी की संवेदनशील जगहों पर 1.40 लाख सीसीटीवी कैमरे साल के अंत तक लगा दिए जाएंगे. कैमरे केंद्रीकृत सेंटर से जुड़े होंगे. कोर्ट चाहे तो सभी की जांच अपनी निगरानी में करवा सकता है.
कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह कैमरे की गुणवत्ता का भी खयाल रखे. कोर्ट ने खासतौर से पुलिस कमिश्नर और संबंधित पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे सभी थाने और चौकियों में कैमरा लगाया जाना सुनिश्चित करें और जांच कर बताएं कि सभी कैमरे सही से काम कर रहे हैं या नहीं. इसके अलावा वे कैमरे के काम करने को लेकर हर 3 महीने और 6 महीने में खुद निगरानी करें. साथ ही बेहतर व्यवस्था के लिए निगरानी का काम किसी स्वतंत्र निकाय जैसे सीआईएसएफ जैसी एजेंसी को दे दें.
सरकार ने स्ट्रीट लाइट के बारे में कहा है कि पुलिस की पीसीआर वैन लाइट के खराब होने की जानकारी भी रोजाना संबंधित स्थानीय निकायों को दे देती है. कोर्ट ने राजधानी की सभी सड़कों पर स्ट्रीट लाइट लगाए जाने को लेकर दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे अपनी अध्यक्षता में संबंधित सिविक एजेंसियों के साथ बैठक करें और सभी जगहों पर स्ट्रीट लाइट लगाया जाना सुनिश्चित करें. वे यह भी तय कर दें कि स्ट्रीट लाइट के खराब होने पर कौन अधिकारी उसको ठीक करवाएगा. कोर्ट ने इस मामले से जुड़े सभी पक्षों से इस पर अपना-अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय देते हुए 20 मार्च के लिए सुनवाई को टाल दिया है.