
दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट हिंसा मामले के बाद से अदालतों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. तीस हजारी कोर्ट परिसर में दाखिल होने पर किसी भी गेट पर न ही कोई पुलिसकर्मी दिखाई दिया और न ही सुरक्षाकर्मी. पुलिसकर्मी अदालत परिसर में दाखिल होने वाले किसी की व्यक्ति की जांच तक नहीं कर रहे हैं. आमतौर पर तीस हजारी अदालत के हर गेट पर दिल्ली पुलिस के सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं.
वकील और पुलिस के बीच बढ़ी तनातनी का असर सीधे तौर पर अदालतों की सुरक्षा पर हो रहा है. अदालत परिसर में दाखिल होने पर पुलिसकर्मी और सुरक्षाकर्मी किसी की भी जांच नहीं कर रहे हैं. तीस हजारी कोर्ट के गेट पर लगे डोर डिटेक्टर और मेटल डिटेक्टर शोपीस बनकर रह गए हैं. ऐसे में कोई भी शरारती या असामाजिक तत्व अपने नापाक इरादे लेकर कोर्ट परिसर में दाखिल हो सकता है.
इतना ही नहीं, पुलिस थाने की ओर से अदालत में मौजूद रहने वाले 'नायब कोर्ट' भी गायब चल रहे हैं. तीस हजारी कोर्ट में हुई हिंसा के बाद से नायब कोर्ट अदालत में नहीं बैठ रहे हैं. पुलिस थाने की ओर से कोर्ट में मौजूद रहने वाले पुलिसकर्मी को ही 'नायब कोर्ट' कहा जाता है.
आपको बता दें कि अदालत की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की होती है, लेकिन घटना के बाद से ही जिस तरह से वकील और पुलिस के बीच टकराव बढ़ रहा है, उसका सीधा असर अदालत की सुरक्षा पर पड़ रहा है.
अभी तक दिल्ली की सभी अदालतों में दाखिल होने पर सुरक्षाकर्मी मुवक्किल, वकील समेत सभी व्यक्तियों की तलाशी ली जाती थी. साथ ही डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर से गुजरने के बाद अदालत में एंट्री मिलती थी. हालांकि तीस हजारी कोर्ट में हुई हिंसा के बाद से सब कुछ ठप पड़ा हुआ है और अदालतों की सुरक्षा राम भरोसे छोड़ दी गई है.