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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बावजूद जारी है नियमों की अनदेखी

दिल्ली में प्रदूषण की समस्या कोई नई नहीं है. हर साल सर्दियों से पहले यहां का प्रदूषण स्तर बढ़ जाता है. प्रदूषण रोकने के लिए कई नियम बनाए जाते हैं लेकिन राजधानी में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

दिल्ली में धुंध (फाइल फोटो) दिल्ली में धुंध (फाइल फोटो)
पंकज जैन/देवांग दुबे गौतम
  • नई दिल्ली,
  • 20 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 9:05 PM IST

देश की राजधानी में सर्दियों से ठीक पहले प्रदूषण की समस्या लोगों के लिए मुसीबत बनते जा रही है. हैरान करने वाली बात यह है कि सरकारी एजेंसियों के दावों के उलट दिल्ली के कई हिस्सों में जमकर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.  'आजतक' की टीम ने प्रदूषण फैलाने वाली वजहों की रोकथाम का रिएलिटी चेक किया है.

इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन से महज कुछ दूरी पर नियमों की अनदेखी करते हुए प्रदूषण को आमंत्रण दिया जा रहा है. राजपथ पर मिट्टी के कई ऊंचे ढेर बिना किसी ग्रीन कवर के खुले में नज़र आ रहे हैं. एक तरफ दिल्ली की हवा ख़राब है, तो वहीं मिट्टी के ढेर के खिलाफ कार्रवाई करने वाली एजेंसियां भी गायब हैं.

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आपको बता दें कि निर्माण कार्य के दौरान मलवा, रेत या अन्य मटेरियल को ग्रीन कवर से ढंकना अनिवार्य है, जबकि राजपथ पर खुलेआम इस नियम को नज़रंदाज़ करते पाया गया. दिल्ली में PM 10 और PM 2.5 का स्तर लगातार बढ़ते जा रहा है.  उधर 'आजतक' खास बातचीत के दौरान दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने बताया कि पर्यावरण विभाग की 15 टीम प्रदूषण से निपटने के लिए काम कर रही है.

इसके अलावा 6 सदस्यों की एक कमिटी बनाई गयी है. इस कमिटी का मकसद औचक निरीक्षण करना है ताकि प्रदूषण फैलाने वालों और इसकी वजहों को पहचान कर पर तुरंत कार्रवाई की जा सके.

मंत्री इमरान हुसैन के मुताबिक 6 सदस्यों की कमिटी में एमसीडी, PWD, दिल्ली पुलिस जैसे विभागों का एक-एक सदस्य होगा.  साथ ही दिल्ली में 83 मार्शल भी प्रदूषण पर निगरानी रख रहे हैं. ये मार्शल अलग-अलग इलाकों में घूमकर कूड़ा जलाने, धूल से होने वाले प्रदूषण फ़ैलाने वालों के खिलाफ एक्शन लेंगे.  

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दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से पराली के मुद्दे पर किसानों को मुआवजा देने की मांग दोहराई है.  हाल ही में दिल्ली के पड़ोसी राज्यों से पराली जलने की तस्वीरें सामने आईं थी. पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन का दावा है कि दिल्ली में प्रदूषण की मुख्य वजह पड़ोसी राज्यों के खेत-खलिहानों में किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली है.

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