
दिल्ली में प्रदूषण पर लगाम लगाने के मकसद से केजरीवाल सरकार ने 150 हॉटस्पॉट चिन्हित किए हैं. सर्दियों के मौसम में प्रदूषण की दस्तक से पहले दिल्ली सचिवालय में एक 'ग्रीन वॉर रूम' भी बनाया गया है. ग्रीन वार रूम के लिए 21 सदस्यीय टीम बनाई है, जो पूरे विंटर सेशन में 24 घंटे सातों दिन काम करेगी.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि पिछले 1 साल में ग्रीन दिल्ली ऐप से मिली शिकायतों के आधार पर अब 150 हॉटस्पॉट दिल्ली के अंदर चयनित किए गए हैं. अब इन हॉटस्पॉट की कड़ी निगरानी की जाएगी. इन स्थानों पर अधिकारियों के माध्यम से कड़ी निगरानी रख कर प्रदूषण पैदा करने वाले स्त्रोतों को कम किया जाएगा.
दरअसल, इस पूरे अभियान में सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर ग्रीन वॉर रूम ही है. ग्रीन वॉर रूम में मुख्य तौर पर तीन तरह से निगरानी की जाती है. जिसमें अलग-अलग 26 मॉनिटरिंग सेंटर लगे हुए हैं और उन सेंटर की रिपोर्ट को यहां से रोजाना मॉनिटर किया जाता है. जगह-जगह जलने वाली पराली की निगरानी नासा के माध्यम से ग्रीन वॉर रूम में की जाती हैं. ग्रीन वार रूम के साथ प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट को जोड़ा गया है. ग्रीन वॉर रूम में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के प्रतिनिधि हैं और जीडीआई के पार्टनर भी जुड़े हुए हैं. यह संयुक्त टीम वॉर रूम के साथ अब विंटर एक्शन प्लान के लिए काम करेगी.
IIT कानपुर और DPCC के बीच एमओयू को मंजूरी
दिल्ली कैबिनेट की बैठक में आईआईटी कानपुर और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के बीच एमओयू को मंजूरी दे दी है. केजरीवाल सरकार और आईआईटी कानपुर के बीच तकनीक को लेकर समझौता हुआ है. जिसके बाद दिल्ली में अब वायु प्रदूषण के रीयल-टाइम सोर्स की सटीक जानकारी मिलेगी. वायु प्रदूषण के स्रोतों को वास्तविक समय में ट्रैक किया जाएगा.
एमओयू के तहत आईआईटी कानपुर की तरफ से पीएम 2.5, एनओ2, सीओ2, एलिमेंटल कार्बन सहित अन्य वायु प्रदूषण की निगरानी के लिए अत्याधुनिक सुपरसाइट स्थापित की जाएंगी. दिल्ली के अलग अलग स्थानों पर एक्यूआई के स्तर को लेकर पूर्वानुमान जारी किया जाएगा. इसके अलावा वायु प्रदूषण को लेकर प्रति दिन, साप्ताहिक, मासिक और वार्षिक डाटा का विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी.
50 इंजीनियर की भर्ती
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि हमारे यहां डीपीसीसी के अंदर इंजीनियरों की काफी कमी थी. हम पहले प्रयास कर रहे थे कि उनकी भर्ती हो जाए. हमें पहली सफलता मिली है और 50 इंजीनियर की भर्ती शुरू हो गई है. यह इंजीनियर वॉर रूम के साथ जुड़कर फील्ड में एक्शन लेने और निगरानी करने का काम करेंगे. इसके साथ 70 ग्रीन मार्शल हैं जो इस वॉर रूम से जुड़े हैं और जो एक टास्क फोर्स के रूप में काम करते हैं. जब कोई प्रदूषण की शिकायत आती है तो ग्रीन वॉर रूम से संबंधित विभाग को भेजते हैं. विभाग समस्या को दूर करने के बाद कहता है कि हमने इस शिकायत को दूर कर दिया है. जिसके बाद ग्रीन मार्शल की टास्क फोर्स ग्राउंड पर जाकर रियलिटी चेक करती है कि हकीकत में वह समस्या दूर हुई या नहीं हुई है.
उन्होंने कहा कि अभी इस पूरे वॉर रूम को संचालित करने के लिए 21 सदस्यीय टीम बनाई है, जोकि ग्रीन वॉर रूम से पूरे विंटर सेशन में 24 घंटे सातों दिन काम करेगी. इस टीम को पर्यावरण इंजीनियर बीएल चावला हेड करेंगे और पूरी रिपोर्ट विभाग और सरकार को देंगे.
ग्रीन दिल्ली ऐप पर 10 तरह की शिकायतें कर सकते हैं:
1. अगर आपके आसपास औद्योगिक क्षेत्र है, वहां पर प्रदूषण दिखता है तो शिकायत कर सकते हैं.
2. अगर पार्क में पत्तियां-बायोमास जल रहा है तो उसकी शिकायत कर सकते हैं.
3. अगर कूड़ा या प्लास्टिक वेस्ट जल रहा है तो उसकी भी शिकायत कर सकते हैं.
4. निर्माण-डिमोलिशन गतिविधि चल रही हैं और धूल प्रदूषण है तो उसकी शिकायत कर सकते हैं.
5. दिल्ली के अंदर सीएनडी वेस्ट सड़क किनारे या खाली जगह पर फेंका जा रहा है तो शिकायत कर सकते हैं.
6. सड़क किनारे या खाली जगह पर कूड़ा फेंका हुआ है और जलाया जा रहा है तो उसकी शिकायत कर सकते हैं.
7. अगर कोई गाड़ी ज्यादा धुआं छोड़कर प्रदूषण कर रही है तो उसकी शिकायत कर सकते हैं.
8. रोड पर गड्डे ज्यादा हैं और वहां से धूल निकल रही है तो उसकी शिकायत कर सकते हैं.
9. यदि किसी रोड पर धूल फैली है तो उसकी शिकायत कर सकते हैं.
10. अगर कहीं पर ध्वनि प्रदूषण हो रहा है उसकी भी शिकायत कर सकते हैं.
आपको बता दें कि केजरीवाल सरकार ने अपना विंटर एक्शन प्लान तैयार कर लिया है. वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 10 पॉइंट तैयार किए गए हैं. दिल्ली में निर्माण साइटों पर धूल प्रदूषण को रोकने के लिए 75 और कूड़ा जलने की घटनाओं पर नजर रखने के लिए 250 टीमें भी गठित की गई हैं.