
दिल्ली सरकार ने जानलेवा प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली में अगले साल से ही BS-6 पेट्रोल और डीजल लाने का फैसला किया है. खबर आते ही यह सवाल सबके मन में है कि सिर्फ पेट्रोल-डीजल बदलने से प्रदूषण किस हद तक रुकेगा. यह सवाल उठना इसलिए वाजिब है क्योंकि सरकार दिल्ली में अगले साल से भारत स्टेज 6 का पेट्रोल और डीजल तो ला रही है लेकिन बीएस-6 गाड़ियां लाने की समय सीमा फिलहाल नहीं बदली गई है जो कि 2020 है.
पहले भारत स्टेज 6 की गाड़ियां और पेट्रोल-डीजल दोनों को लाने की समय सीमा 2020 ही थी. लेकिन दिल्ली के जानलेवा प्रदूषण पर जब हाहाकार मचा तब सरकार ने आनन-फानन में यह फैसला कर लिया कि दिल्ली में अप्रैल 2018 से और पूरे एनसीआर में 2019 से बीएस-6 पेट्रोल और डीजल ही बेचा जाएगा.
पेट्रोलियम के एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा का कहना है कि सरकार के इस फैसले से दिल्ली का प्रदूषण कम करने में काफी मदद मिलेगी और लोगों को राहत महसूस होगी. उनका कहना है कि बीएस-4 के मुकाबले बीएस-6 डीजल में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ 70 से 75 फीसदी तक कम होते हैं. नरेंद्र तनेजा का कहना है कि गाड़ियां BS-6 नहीं होने की वजह से तत्काल इसका पूरा फायदा तो नहीं मिलेगा लेकिन इसके बावजूद प्रदूषण में कमी होगी.
इसके आने पर खासतौर से डीजल की गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण में बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर के मामले में BS-6 लेवल का डीजल काफी बेहतर होगा. ये वो खतरनाक प्रदूषण फैलाने वाले पदार्थ हैं जिनके शरीर में जाने से कैंसर, अस्थमा से लेकर फेफड़ों तक की तमाम तरह की बीमारियां होती हैं.
खास बात यह है कि भारत के तमाम प्राइवेट और कुछ सरकारी तेल कंपनियां पहले से ही BS-6 पेट्रोल और डीजल का उत्पादन कर तो रही हैं लेकिन देश में कोई नियम नहीं होने की वजह से यह दूसरे विकसित देशों को निर्यात किया जा रहा था लेकिन भारत में नहीं बेचा जा रहा था. लेकिन बड़े स्तर पर पूरे दिल्ली और एनसीआर में BS-6 पेट्रोल डीजल सप्लाई करने के लिए या तो सरकार को सरकारी तेल कंपनियों से फौरन अपनी टेक्नोलॉजी बेहतर करने को कहना होगा या फिर प्राइवेट तेल कंपनियों से तेल खरीदना होगा.
नरेंद्र तनेजा का कहना है कि बीएस-6 पेट्रोल और डीजल का उत्पादन महंगा है और पूरे देश में इसे लागू करने के लिए तेल कंपनियों को 50 हजार से लेकर 70 हजार करोड़ रुपए का खर्च करके अपनी रिफाइनरी को आधुनिक बनाना होगा.
एक चुनौती यह होगी कि सिर्फ दिल्ली में अगले साल से BS-6 पेट्रोल-डीजल तो मिलने लगेगा लेकिन एनसीआर में यह फैसला 2019 से लागू होगा. इसका मतलब यह हुआ कि नोएडा, गुरुग्राम, सोनीपत, फरीदाबाद, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा जैसी जगहों से बीएस-4 पेट्रोल और डीजल लेकर गाड़ियां बेधड़क दिल्ली में आती जाती रहेंगी और प्रदूषण फैलाती रहेंगी. डीजल की गाड़ियां प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है और उनसे निकलने वाले जहरीले पदार्थ सेहत के लिए सबसे खतरनाक हैं.
इसीलिए जब तक यह फैसला कम से कम पूरे एनसीआर में लागू नहीं होता तब तक इसका असर तो दिखेगा लेकिन कोई बहुत बड़ा फर्क देखने के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा जब 2019 से BS-6 डीजल और पेट्रोल पूरे एनसीआर में मिलने लगेगा.