
दिल्ली में बिजली संकट गहरा गया है. बीएसईएस के कुछ कर्मचारियों ने हड़ताल करके बिजली काट दी है, जिससे पश्चिमी और दक्षिण दिल्ली के कई इलाको में बुधवार से बिजली नही आ रही है.
'इंडिया टुडे-आज तक' से खास बातचीत में दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा बीएसईएस कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होगी. वे पहले बिजली बहाल करें फिर उनकी मांगों पर विचार होगा. ऊर्जा मंत्री ने कहा कि रेल कर्मचारियों की अगर कोई मांग है तो क्या वे पटरी थोड़ी उखाड़ देंगे. इसी तरह उन्होंने बिजली काटकर गलत किया है. सबसे पहले वे बिजली चालू करें.
अंधेरे में डूबे रहे कई इलाके
दरअसल, दिल्ली में बीएसईएस की दो कंपनियां हैं. पहली कंपनी बीएसईएस राजधानी दिल्ली के साउथ और वेस्ट इलाकों में बिजली वितरण करती है, जबकि बीएसईएस यमुना का काम पूर्वी और सेंट्रल दिल्ली में बिजली मुहैया कराने का है. हड़ताल का सबसे ज्यादा असर बीएसईएस राजधानी के इलाकों में देखने को मिला. दक्षिणी दिल्ली के कई इलाके बुधवार को देर रात तक अंधेरे में डूबे रहे. जिन इलाकों को कई घंटों कटौती झेलनी पड़ी, उनमें संगम विहार, प्रहलादपुर, गोविंदपुरी, हौज़ खास, देवली, साकेत जैसे कई इलाके शामिल थे. पश्चिमी दिल्ली में भी हाल बुरा था. वहां भी कई इलाकों मसलन रामपुरा, पंजाबी बाग, नजफगढ़ से लगने वाले इलाकों में देर रात तक बत्ती गुल रही.
क्या है बीएसईएस कर्मचारियों की मांग?
कर्मचारियों में ज्यादातर हड़ताल पर वो रहे, जिनके जिम्मे रखरखाव की जिम्मेदारी होती है. इसलिए जहां एक बार बिजली चली गई, वहां दोबारा जुड़ी ही नहीं. कर्मचारियों के मांग अपनी नौकरी को पक्की करने की है, क्योंकि अब तक बीएसईएस ज्यादातर कॉन्ट्रैक्ट के कर्मचारियों से ही काम चलाता है. इसके अलावा वेतन बढ़ाना और फील्ड में काम कर रहे लोगों को आने जाने के लिए पेट्रोल देने जैसी मांग भी शामिल हैं.