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दिल्ली: MCD में हाउस टैक्स और 12 हजार कर्मचारियों को पक्का करने का प्रस्ताव पास, बीजेपी ने फंसाया पेंच!

दिल्ली नगर निगम की बैठक में AAP ने हाउस टैक्स और 12000 कर्मचारियों को पक्का करने का प्रस्ताव पास दिया. लेकिन कमिश्नर अश्विनी कुमार सदन में ना पहुंचने पर हंगामा हो गया. इसके बाद आम आदमी पार्टी और बीजेपी के पार्षद एक-दूसरे के सामने आ गए और नारेबाजी शुरू कर दी.

दिल्ली नगर निगम. (फाइल फोटो) दिल्ली नगर निगम. (फाइल फोटो)
राम किंकर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:45 PM IST

आम आदमी पार्टी शासित नगर निगम की बैठक में हाउस टैक्स और 12000 कर्मचारियों को पक्का करने के प्रस्ताव को पास तो कर दिया गया, लेकिन कमिश्नर अश्विनी कुमार सदन में नहीं पहुंचे. जिसके बाद प्रस्ताव पर पेंच फंस गया.

भाजपा पार्षद ने कमिश्नर के अनुपस्थित होने का हवाला देकर आम आदमी पार्टी के मेयर को सदन की कार्यवाही के लिए इंतजार करने को कहा तो AAP के पार्षद विरोध करने लगे. जिसके बाद दोनों दलों ने हंगामा करते हुए एक-दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. बीजेपी पार्षदों ने एजेंडे की कॉपियां फाड़ दी और कहा कि बिना कमिश्नर के मेयर प्रस्ताव पास कैसे हो गया.

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वहीं, AAP का कहना है कि होली से पहले दिल्ली के लाखों मकान मालिकों को फायदा देने के लिए हाउस टैक्स माफी के प्रस्ताव के साथ-साथ कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के प्रस्ताव पास किया. लेकिन बीजेपी ने इसका विरोध किया. इसके बाद सदन की कार्यवाही को आगे के लिए स्थगित कर दिया गया है.

प्रस्ताव और प्रिएंबल तैयार नहीं

केशव पुरम जॉन वार्ड समिति के अध्यक्ष और बीजेपी के सीनियर पार्षद ने कहा कि कमिश्नर ने हाउस टैक्स और कर्मचारियों को पक्का करने से जुड़ा प्रस्ताव और प्रिएंबल तैयार ही नहीं किया. 

'ये महापौर का अपमान'

AAP के नेता सदन मुकेश गोयल ने कहा कि प्रस्तावों को प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में लाया गया और सदन से पास होने के लिए हमारे पास कोरम भी है. मुकेश गोयल ने कहा कि कमिश्नर की जगह पर सदन में एडिशनल कमिश्नर मौजूद थे. उनसे डायस पर आयुक्त के स्थान पर बैठने को कहा गया, लेकिन वह नहीं बैठे यह महापौर का अपमान है. 70 से अधिक पार्षद सदन में मौजूद थे और किसी भी प्रस्ताव को पारित करने के लिए कोरमा भी पूरा हो रहा है.

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नेता सदन ने दावा किया कि दलित मेयर के सामने से माइक खींचकर फेक दिया. बार-बार कहने पर मेयर की कुर्सी के बगल में एडिशनल कमिश्नर नहीं बैठी लिहाजा ये मेयर का अपमान है.

आपको बता दें कि कमिश्नर की तरफ से जब तक प्रस्ताव तैयार कर एजेंडे में शामिल नहीं किया जाता है, तब तक वह मान्य नहीं होता है. 

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