
हरियाणा से सटे दिल्ली का आखिरी गांव इन दिनों 'स्वीट क्रांति' के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है. इस कुतुबगढ़ गांव के 10 युवा किसान रोजाना अपने खेतों में सरसों के खेती देखने के अलावा यह जांचने के लिए भी पहुंचते हैं कि मधुमक्खियां ठीक से काम कर रही हैं या नहीं. ये किसान खेती के अलावा मधुमक्खियां भी पालते हैं जिनसे उन्हें शहद मिलता है और उनकी कमाई हो रही है.
ये किसान मधुमक्खियों के लिए बनाए गए बी बॉक्स की देखरेख करते हैं और इस बात का जायजा लेते हैं कि कहीं इन डिब्बों के आस-पास कोई पेस्टीसाइड न डाले और इन डब्बों में कीड़े न जाएं. दिल्ली समेत पूरे भारत में करीब 70 हजार बी बॉक्स बांटे गए हैं.
दरअसल, 13 दिसबंर 2016 को बनासकांठा की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि श्वेत क्रांति के साथ-साथ स्वीट क्रांति की शुरुआत होनी चाहिए तभी से पूरे देश में हनी मिशन की शुरुआत हुई.
बी बॉक्स को लेकर एक खास बात यह है कि इजराइल ने अपने देश में एक बार में 801 बी बॉक्स बांटकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था जिसे भारत ने काजीरंगा में 1,000 बी बॉक्स बांटकर उसके इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया.
आपको जानकर हैरानी होगी कि राष्ट्रपति भवन में करीब 300 हनी बी बॉक्स लगाए गए हैं जिससे पैदा हुई हनी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदेशी मेहमानों को गिफ्ट किया जाता है. (दिल्ली के युवा किसान कर रहे मधुमक्खियों का पालन)
पूरे देश में हनी मिशन को केवीआईसी यानि खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन बढ़ा रहा है. बी बॉक्स लकड़ी का बना होता है जिसमें 8 फ्रेम होते हैं. उसी में मधुमक्खियां होती हैं. ये मधुमक्खियां बाहर जाती हैं. 1 किसान को 10 बी बॉक्स दिया जाता है जिससे उसे सालाना 50 हजार रुपये की इनकम हो जाती है. सूरज की पहली किरण निकलने के साथ ही मुधमक्खियां बाहर निकल जाती हैं और तीन किलोमीटर के दायरे में पोलन नेक्टर लाकर स्टोर करती हैं जिससे शहद पैदा करती है. दिल्ली के सीपी स्थित खादी के शो रूम में भी ऐसे शहद को बेचा जा रहा है जिसे दिल्ली के किसानों ने पैदा किया है.
कैसे तैयार होता है शहद
बी बॉक्स के नीचे के भाग को भ्रूण चेंबर कहते हैं जो कई फ्रेंम्स में बंटा होता है. इसी में मधुमक्खियों को दिया जाता है. एक फ्रेम में 8 से 10 हजार मधुमक्खियां आती हैं जिसमें से एक रानी और बाकी ड्रोन्स होती हैं. खाना लाने के बाद वो सुपर चेंबर में हनी स्टोर कर देती हैं.
खादी कमीशन के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने बताया कि एक किसान को 10 बॉक्स दिया जाता है. खादी की रजिस्टर्ड संस्थाएं किसानों से शहद खरीदती हैं. पूरे देश में असर दिख रहा है. काजीरंगा के फारेस्ट में आदिवासी को जोड़ा गया है. करीब 1000 बी बॉक्स वहां दिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में एक दिन में 2300 बी बॉक्स किसानों के देकर एक रिकार्ड बनाया. क्रॉस पॉलिनेशन से जंगल को हरा भरा बना दिया. 3 नवंबर 2018 को नई दिल्ली से सासंद मीनाक्षी लेखी और खादी कमीशन के सहयोग से गांव में मधुमक्खी पालन शुरू हुआ. इससे फसलों में बदलाव हुआ. 2 महीने में गांव ने 1,100 किलो हनी निकाला है. युवा इस तरफ आकर्षित हो रहे हैं. उन्हें रोजगार मिला है, उन्हें आर्थिक भी लाभ हुआ है. इतना ही नहीं सरसों की खेती में करीब 30 प्रतिशत ज्यादा फसल हुई है.
मधुमक्खी पालक दिनेश कुमार राना, पहले इन मधुमक्खियों से डरते थे, लेकिन खादी कमीशन की इस कैंप ने यह डर भी खत्म कर दिया. कुल 125 डब्बे यहां लगाए गए हैं. सरसों तो हो ही रही है साथ ही खेत से शहद भी बिक रही है. लघु उद्योग को भी बढ़ावा मिला है.