Advertisement

महज 3 घंटे की बारिश में इसलिए बेहाल हो गई दिल्ली, जानिए क्यों सड़क बन गए तालाब

देश की राजधानी यूं तो बारिश न होने के लिए बदनाम है, लेकिन जब यहां इंद्र देव कृपा बरसाते हैं तो सरकारी एजेंसियों की पोल खुलने में वक्त नहीं लगता.

दिल्ली बारिश के बाद सड़क पर लगा पानी दिल्ली बारिश के बाद सड़क पर लगा पानी
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 10:42 PM IST

चंद घंटे की बारिश ने देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को बेहाल कर दिया. बारिश के बाद जो तस्वीरें सामने आईं, वो डराने वाली हैं. शर्मिंदा करने वाली हैं, क्योंकि ये देश की राजधानी का हाल है. बुधवार को बारिश 3 घंटे बाद रुक गई, लेकिन इतनी देर में ही आम से लेकर खास हर रास्ता, हर इलाका जलभराव और जाम से कराह उठा. व्यवस्था और प्रशासन की पोल खुली सो अलग.

Advertisement

देश की राजधानी यूं तो बारिश न होने के लिए बदनाम है, लेकिन जब यहां इंद्र देव कृपा बरसाते हैं तो सरकारी एजेंसियों की पोल खुलने में वक्त नहीं लगता. कभी लुटियन ने दिल्ली के कुछ हिस्सों को संवारा था. लेकिन समय के साथ सीख लेने की तासीर दिल्ली के हुक्मरानों में शायद कभी नहीं रही. यही कारण है कि दिल्ली-एनसीआर की तालाब में बदल चुकी सड़कें घटिया ड्रेनेज सिस्टम की देन हैं. आलम यह है कि हाईवे से लेकर फ्लाईओवर पर तगड़ा जाम लगा है.

30 फीसदी घट गई है ड्रेनेज की क्षमता
फिलहाल जलभराव शहर के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसे बड़े पैमाने मजबूत करने की जरूरत है. दिल्ली-एनसीआर के बिगड़ते ड्रेनेज सिस्टम पर 'आज तक' ने शहर के जाने माने टाउन प्लानर एके जैन से खास बातचीत की है. उन्होंने बताया, 'दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम 70 साल पुराना है. तब 20 लाख आबादी हुआ करती थी. आज आबादी 2 करोड़ के आसपास है. जहां ड्रेनेज की क्षमता 30 फीसदी बढ़नी चाहिए थी, वो 30 फीसदी घट गई है.'

Advertisement

अनियमित कॉलोनियों के कारण बढ़ी परेशानी
एके जैन ड्रेनेज सिस्टम के कमजोर होने की वजह बताते हुए कहते हैं, 'शहर के कई ड्रेन भर चुके हैं. शहरीकरण हुआ, अनियमित कॉलोनियां बनाई गईं और इस कारण भी ड्रेनेज बर्बाद हो गए. ड्रेनेज में जो कचरा जा रहा है, उसको साफ नहीं किया जा रहा. यमुना नदी में वजीराबाद और नोएडा का ड्रेन गिरता है. उसके आसपास 30 फीसदी इलाके में निर्माण हो चुका है. कई कॉलोनी बन चुकी है. चाहे अक्षरधाम हो, मिलेनियम डिपो हो या दिल्ली सचिवालय. अचानक हुए इस निर्माण से यमुना नदी की ड्रेनेज क्षमता कम हो गई है.'

प्लान बना, लेकिन काम नहीं हुआ
पिछले दशक में गुड़गांव, नोएडा, और दिल्ली में इतनी तेजी से विकास हुआ है कि सरकार और एजेंसियां शहर का ड्रेनेज सिस्टम प्लान करना ही भूल गईं. एके जैन कहते हैं, 'ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत करने के लिए कोई प्लान तैयार नहीं किया गया है. ऐसे में सेंट्रल प्लान बनाने की जरूरत है. ऐसा एक प्लान 10 साल पहले बना था, लेकिन उस पर काम नहीं हुआ.'

उच्चस्तरीय कमेटी बनाने की जरूरत
दिल्ली में ट्रैफिक और ड्रेनेज को कंट्रोल करने के लिए रिंग रोड बने, जिसमें कोंडली-मानेसर-पलवल और फरीदाबाद-नोएडा-गुड़गांव के बीच एक रास्ता बनना चाहिए. लेकिन सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. जैन बताते हैं कि दिल्ली में प्रॉपर्टी वैल्यू बढ़ गई है. इस वजह से डीलर्स की नजर खाली जमीन पर ज्यादा रहती है. यह भी एक वजह है कि दिल्ली के यमुना बेल्ट में अनियमित कॉलोनियों का निर्माण बढ़ गया है. जैन ने सुझाव दिया कि दिल्ली में एक नगर निगम, DDA और दिल्ली सरकार के बीच हाईपॉवर कमेटी बननी चाहिए, जो ड्रेनेज सिस्टम पर काम करे.

Advertisement

600 वाटर बॉडी थीं, अब सिर्फ 150 बची हैं
टाउन प्लानर के मुताबिक, दिल्ली डेंजर जोन में है. उनका कहना है कि दिल्ली में 600 वाटर बॉडी होती थीं, जो अब 150 रह गई हैं. बारिश के बाद वजीराबाद बराज की वजह से पानी एक जगह रुक जाता है, वरना दिल्ली पूरी डूब सकती है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement