
राजधानी दिल्ली के उत्तर-पूर्व इलाके में पिछले साल हुई हिंसा से जुड़े एक मामले में दिल्ली की सेशंस कोर्ट ने एक आरोपी को गंभीर आरोपों से मुक्त किया है. अदालत ने कहा कि हिंसा से जुड़े मामलों में कॉमन सेंस का इस्तेमाल करनी भी ज़रूरी है.
सेशंस कोर्ट के जज विनोद यादव ने अपने एक आदेश में कहा कि हिंसा से जुड़े मामलों में गंभीरता से काम करना जरूरी होता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कॉमन सेंस का इस्तेमाल ना किया जाए.
कोर्ट ने कहा कि IPC की धारा 436 को सिर्फ एक बयान के आधार पर नहीं लगाया जा सकता है, जबकि अन्य लिखित बयान पुलिसकर्मी के बयान से उलट हैं तो ऐसे में ये मान्य नहीं होगा.
अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी द्वारा अभी तक किसी अन्य को इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया है, जिसपर कोई गंभीर आरोप हो.
जिस आरोपी को गंभीर आरोपों से मुक्त किया गया है, उससे जुड़ा मामला अब मजिस्ट्रेट की कोर्ट के पास सुना जाएगा. क्योंकि सेशंस कोर्ट ने अब गंभीर चार्ज को हटा दिया है. बता दें कि सेशंस कोर्ट से पहले ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने दिल्ली हिंसा से जुड़े मामले में पुलिस की चार्जशीट पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने पुलिस द्वारा पेश किए गए गवाहों को लेकर चिंता व्यक्त की थी.
आपको बता दें कि साल 2020 में नई दिल्ली में नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ जारी प्रदर्शन के बीच हिंसा भड़क गई थी. करीब तीन दिनों तक दिल्ली में बवाल हुआ था और 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी, सैकड़ों लोग इस दौरान घायल हुए थे.