
गुरुवार को दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद के खिलाफ दायर सप्लीमेंट्री चार्जशीट की कॉपी आरोपी या उसके वकील को मिलने से पहले ही कथित तौर पर मीडिया में कैसे लीक हो गई. इस सवाल का जवाब देने के लिए दिल्ली पुलिस को कोर्ट ने 14 जनवरी तक का वक्त दिया है.
एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह 14 जनवरी तक यह बताए कि अदालत के चार्जशीट पर संज्ञान लेने से पहले वह कैसे कथित तौर पर मीडिया में लीक हो गई. खालिद की याचिका में कहा गया कि सप्लीमेंट्री चार्जशीट में लगाए गए आरोप और मीडिया में उसकी डिटेलिंग कथित रूप से 'गलत', 'दुर्भावनापूर्ण' और निष्पक्ष सुनवाई के उसके अधिकार से समझौता करने वाले थे.
खालिद ने इससे पहले आरोप लगाया था कि मीडिया उनके खिलाफ दुर्भावनापूर्ण कैंपेन चला रही है. इसके साथ ही उसने अदालत से पुलिस को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि उसे या उसके वकील को चार्जशीट मिलने से पहले यह मीडिया को कैसे मिल गया.
गुरुवार की सुनवाई के दौरान खालिद ने कहा, "जैसा मैंने पहले उल्लेख किया था, मुझे चार्जशीट उपलब्ध कराए जाने से पहले ही यह सार्वजनिक हो गया और मीडिया उसके आधार पर रिपोर्टिंग कर रही थी. मुझे खबरों में पढ़कर यह पता चला कि चार्जशीट में मेरे द्वारा दिए गए एक बयान का उल्लेख है और उस तथाकथित बयान के आधार पर मीडिया ने यह खबर चलाई कि मैंने अपनी भूमिका स्वीकार कर ली है."
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खालिद ने आगे कहा कि जब मुझे आरोप-पत्र मिला तो मेरे उस तथाकथित बयान के नीचे लिखा था 'हस्ताक्षर करने से इनकार किया'. इसके बावजूद इसे लीक किया गया और फिर इस तरह की खबरें बनाई गईं.
खालिद ने कोर्ट से कहा, "यह पहली बार नहीं है, ऐसा पहले भी हो चुका है. गैर पेशेवराना तरीके से कोई बात पहले पब्लिक डोमेन में जाती है और उसके बाद वह कोर्टरूम में पहुंचती है. जब मैं इन रिपोर्टों को जेल में पढ़ता हूं, तो इससे मुझे गहरी पीड़ा होती है. मैं उम्मीद नहीं करता कि पुलिस की तरफ से ऐसा आखिरी बार किया गया होगा. ऐसा दूसरे मामलों में भी हुआ है. मेरी एक मात्र उम्मीद आपसे है कि आप सुनिश्तिच करें कि ऐसा फिर न हो."
खालिद ने आगे कहा कि चार्जशीट में कुछ वीडियो का जिक्र है जो उसे उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. इस पर जज ने उनके वकील से सभी दस्तावेजों (जो अब तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं) की सूची बनाकर सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत को देने को कहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने जांच अधिकारी से कहा कि वह अदालत को वीडियो के बारे में जानकारी दें और यह बताएं कि आरोपी को उन्हें क्यों नहीं उपलब्ध कराया गया.