
बाहरी दिल्ली के बरवाला इलाके में गुरुवार को दिल्ली डेवेलेपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) का बुलडोजर एक बार फिर चला. बाहरी दिल्ली के आनंद विहार कॉलोनी में रह रहे लोगों को अचानक डीडीए की तरफ से घर खाली करने का नोटिस मिला और 24 घंटों के भीतर मकानों को तोड़कर समतल कर दिया गया.
इस दौरान इन घरों में रहने वाले लोग रोते-बिलखते रहे, लेकिन प्रशासन ने एक न सुनी. सरकारों की ओर से लोगों को छत देने की हजार बातें की जाती हैं लेकिन पल भर में कइयों के सिर से छत छिन गई.
घर गिरने के बाद अब कई परिवार जुलाई की इस चिलचिलाती गर्मी में अपने घरों का सामान सड़कों पर रखकर, जीने को मजबूर हैं. दरअसल जिन जमीनों पर ये मकान बने हुए हैं, वे जमीनें नेशनल हाइवे के दायरे में आ रही हैं. यही वजह है कि इन मकानों को तोड़ा जा रहा है. डीडीए ने तभी इन मकानों को तोड़ने का फैसला किया.
दिल्ली सरकार के एडीएम नेक राज का कहना है कि नेशनल हाईवे के प्लान के चलते इस जमीन को खाली कराया गया है. लोगों को सही समय से घर खाली करने का नोटिस दिया गया था. प्रशासन के निर्णय के मुताबिक इस कॉलोनी में बने लगभग 150 मकानों को तोड़ा जाना था. लेकिन हाई कोर्ट में मामला जाने के बाद रोड बनने के लिए जितनी जरूरत थी, उस आधार पर तकरीबन 25 के आसपास मकानों को तोड़ा गया है.
वहीं इलाके के लोग डीडीए की इस कार्रवाई से खासे नाराज हैं. उनका कहना है कि जो नेशनल हाईवे बन रहा है, वह उनके मकानों से 100 मीटर दूरी पर है. राजनीतिक दबाव के चलते सामने वाली रोड न तोड़कर इन मकानों को निशाना बनाया जा रहा है.
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