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दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में बीते दिन हुए शूटआउट के बाद से अदालतों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. जिला अदालतों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जैसी सुरक्षा की मांग की गई है. रोहिणी कोर्ट के सीनियर वकील राजीव तेहलान ने कहा कि सभी बार पदाधिकारी, वकील ही नहीं, बल्कि दूसरे स्टाफ भी आई कार्ड के साथ ही कोर्ट में दाखिल हों. घटना के बाद से मुस्तैद दिखने वाली पुलिस पिक एंड चूज ना करके चौकस सिक्योरिटी कुछ हफ्ते ही नहीं बल्कि नियमित करें. रोहिणी कोर्ट में गैंगस्टर की हत्या के बाद जिला अदालतों के वकीलों ने 1 दिन की हड़ताल की और किसी भी तरह से विधिक काम में शामिल नहीं हुए.
तीस हजारी कोर्ट खुलने पर वादियों की लंबी लाइन लगी. मेटल डिटेक्टर और डोर डिटेक्टर से गुजरने के बाद ही लोगों को जाने दिया गया. वकीलों के पहचान पत्र भी देखे जा गए. दिल्ली पुलिस के साथ ही त्रिपुरा स्टेट राइफल्स की तैनाती की गई. तलाशी और पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है.
तीस हजारी कोर्ट के सीनियर वकील राजेश कुमार सिंह ने कहा कि आम दिनों में यह घटना हुई होती तो बहुत ज्यादा वकीलों की जाने जा सकती थी. अगर कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था ऐसे ही लचर रही तो कभी भी कोई आतंकी घटना अंजाम दे सकता है. लिहाजा सभी ने वकीलों के साथ ही जजों और नियमित कैंपस के सुरक्षा की मांग की है.
कड़कड़डूमा कोर्ट के वकील सुधीर कुमार ओझा ने बताया कि हर रोज कोर्ट में वकीलों की चेकिंग बिल्कुल नहीं होती है. ऐसे में डर है वकील के वेश में कोई आतंकी घटना को अंजाम दे सकता है. सिक्योरिटी के नाम पर पुलिस सिर्फ खानापूर्ति करती है. साकेत कोर्ट के वकील प्रेम जोशी के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की सराहना की जानी चाहिए कि उसने वक्त पर हमलावरों को ढेर कर दिया, वरना घटना गंभीर हो जाती. हालांकि रोहिणी कोर्ट की घटना के बाद दोबारा कोर्ट कैंपस का सिक्योरिटी रिव्यू होना चाहिए. जिससे कि आगे कोर्ट कैंपस में ऐसी घटना ना हो.
वहीं, आंकड़े के अनुसार, 2014 से आज तक कोर्ट कैंपस से जुड़े कानून व्यवस्था की घटनाओं में ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं अकेले रोहिणी कोर्ट की बात करें तो 2017 में गैंगस्टर राजेश को भी गैंगवार में मारा गया था. तब भी सिक्योरिटी बढ़ाई गई थी, लेकिन अब हमलावर कोर्ट रूम यानी जज के करीब तक पहुंचने में कामयाब रहे.