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दिल्ली: चोरी की कार का बदलते थे चेसिस नंबर, सेकंड हैंड लग्जरी गाड़ी खरीदने वालों को बनाते थे शिकार

दिल्ली में महंगी कारों की चोरी करने के बाद चेसिस नंबर बदलकर बेचने वाली गैंग का भंडाफोड़ हुआ है. पुलिस ने बताया कि चेसिस नंबर से छेड़छाड़ करने और फेक आरसी तैयार कर लक्जरी कारों को चुराने और बेचने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. 

चोरी की गाड़ियों के साथ करते थे खेल, 3 गिरफ्तार (फाइल फोटो) चोरी की गाड़ियों के साथ करते थे खेल, 3 गिरफ्तार (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 3:14 PM IST

दिल्ली में महंगी कारों की चोरी करने के बाद चेसिस नंबर बदलकर बेचने वाली गैंग का भंडाफोड़ हुआ है. पुलिस ने सोमवार को बताया कि चेसिस नंबर के साथ छेड़छाड़ करने और फेक आरसी तैयार करने के बाद लक्जरी कारों को चुराने और बेचने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है.  

पुलिस ने बताया कि आरोपियों से छह वाहन भी बरामद कर लिए गए हैं. इन आरोपियों की पहचान मनीष (22), अमन गर्ग (27) और रूपिंदर सिंह (25) के रूप में की गई है. अधिकारियों ने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि एक गिरोह महंगी गाड़ियों के चेसिस नंबर के साथ छेड़छाड़ कर जाली दस्तावेज तैयार कर उन्हें बेच रहा था.  

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इस गुप्त सूचना पर पुलिस ने एक्शन लिया, जिसके बाद मनीष की गुरुग्राम के सेक्टर 104 में तलाश की गई और फर्जी नंबर की एक कार बरामद की गई. पुलिस ने बताया कि वैरिफिकेशन करने पर पता चला कि यह गाड़ी केएन काटजू मार्ग से चोरी हुई थी.  

उसने खुलासा किया कि वह अपने सहयोगी अमन गर्ग के साथ चोरी के मंहगी गाड़ियां बेचने में शामिल है. पुलिस ने कहा कि मनीष ने उन्हें यह भी बताया कि गिरोह रूपिंदर सिंह से चोरी की कारें खरीदता था. दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के स्पेशल कमिश्नर रवींद्र सिंह यादव ने बताया कि आरोपी ने फर्जी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और अन्य दस्तावेज तैयार करके कॉर के मॉडल को अपग्रेड करते थे.  

अधिकारी ने कहा कि मनीष की गिरफ्तारी के बाद अमन गर्क और रूपिंदर सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया. मनीष और अमन ऑनलाइन लग्जरी कार बुक करते थे. 10 हजार एडवांस देकर वेरिफिकेशन के नाम पर मालिकों से दस्तावेज लेते थे. इसके बाद उसी तरह की चोरी की कार अमित महलावत से खरीदते थे. उसके चेसिस नंबर के साथ छेड़छाड़ करने और उनके द्वारा बुक की गई गाड़ी के जाली दस्तावेज तैयार करने के बाद गाड़ी को कार बेचने वाली कंपनी को बेच देते थे. 

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