
दिल्ली में तीसरे चरण की सीरो सर्वे की रिपोर्ट में लोगों के शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज में कमी देखने को मिली है. पिछले दो सर्वे में जहां एंटीबॉडी पाए गए लोगों में इजाफा हुआ था, वहीं तीसरे में यह कम हो गया है.
इस बार 25.1 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी मिली है. जबकि पिछले महीने ये आंकड़ा 29 फीसदी था. दिल्ली में 1 से 5 सितंबर के बीच तीसरे चरण का सीरो सर्वे हुआ था. इस दौरान वार्ड स्तर पर 17 हजार लोगों के सैंपल लिए गए थे.
पिछली बार की तुलना में क्यों आया अंतर
इस बारे में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि पहला सर्वे आईसीएमआर के साथ मिलकर हुआ था, जिसमें जिलावार सैंपल लिए गए थे. सभी 11 जिलों से सैंपल लिया गया था. दूसरा सर्वे भी इसी तरह हुआ. लेकिन इस बार दिल्ली को हमने 280 भागों में बांटा और वार्ड के स्तर के सैंपल इकट्ठे किए. इसी कारण सर्वे की रिपोर्ट में अंतर आया है. इस सर्वे में ज्योग्राफिकल एस्पेक्ट ज्यादा सही तरीके से सामने आया है.
उम्र के हिसाब से एंटीबॉडी
आंकड़ों के हिसाब से 18 साल से कम उम्र के 26.7 फीसदी लोगों में एंडीबॉडीज मिले, 18 से 49 साल के लोगों में 24.2 फीसदी एंटीबॉडी पाए गए हैं, और 50 से ज्यादा उम्र के 26.3 फ़ीसदी लोगों में एंटीबॉडी मिली है. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक उम्र के हिसाब से एंटीबॉडी की मौजूदगी में ज्यादा अंतर नहीं है, पिछली बार भी कुछ प्वाइंट्स का ही अंतर था.
हर्ड इम्युनिटी
स्वास्थ्य विभाग से पूछा गया कि दिल्ली में इस वक्त हर्ड इम्युनिटी की क्या संभावना है. तो उन्होंने कहा कि ये बात साइंटिस्ट ही बता पाएंगे. जैसे अभी 25 फीसदी के हिसाब से देखें, तो दिल्ली हर्ड इम्युनिटी से बहुत दूर है. हर्ड इम्युनिटी के लिए 40 से 60 फीसदी आबादी में एंटीबॉडी जरूरी है.
अगला सर्वे
दिल्ली सरकार ने कहा कि राजधानी में अगले सीरो सर्वे भी वार्ड के स्तर पर ही किया जाएगा. अगला सर्वे 10-15 दिनों में होगा.