
दिल्ली के इंद्रपुरी इलाके में अब तक एसटीपी( सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) न बनाए जाने से नाराज नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली जल बोर्ड को 5 करोड़ रुपए सीपीसीबी को जमा करने के निर्देश दिए हैं. एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड से कहा कि अगर मई 2019 तक इंद्रपुरी इलाके में एसटीपी नहीं बना तो जमा कराए गए ये 5 करोड़ रुपए सीपीसीबी जब्त कर लेगी.
दरअसल इंद्रपुरी इलाके में गंदे नाले के पानी का मामला चल रहा था. दिल्ली जल बोर्ड ने एनजीटी को आश्वासन दिया था कि इंद्रपुरी इलाके में एसटीपी बना दिया जाएगा, लेकिन न तो एसटीपी लगवाया गया और न ही इंद्रपुरी के लोगों की समस्या ख़त्म हुई.
लंबे समय से जब एसटीपी के निर्माण का काम शुरू ही नहीं हुआ तो एनजीटी नाराज हो गया और दिल्ली जल बोर्ड से इसकी वजह पूछी. लेकिन इस बार भी दिल्ली जल बोर्ड का रवैया टालमटोल वाला ही था. दिल्ली जल बोर्ड ने एनजीटी से कहा कि मई 2019 तक एसटीपी बन जाएगा, जिसके बाद एनजीटी ने बतौर सिक्योरिटी 5 करोड़ रुपए सीपीसीबी में जमा कराने का निर्देश दिया है.
एनजीटी दिल्ली-एनसीआर में हवा और पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए लगातार कई सख्त आदेश जारी कर चुका है, लेकिन ज्यादातर आदेशों का पालन सरकारी एजेंसियों के द्वारा न होने के कारण प्रदूषण की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.
अभी हाल ही में औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले दूषित पानी के निस्तारण की सही व्यवस्था न होने के कारण दिल्ली सरकार पर एनजीटी ने 50 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा दिया था. 2 दिन पहले भी दिल्ली के चीफ सेक्रेट्री और जल बोर्ड पर एनजीटी ने एक-एक करोड़ का जुर्माना लगाया.
दिल्ली में अक्सर देखा गया है कि या तो एसटीपी की संख्या कम है और जहां एसटीपी ढंग से काम कर रहे हैं वहां पानी को ट्रीट करने के बाद उसके सही इस्तेमाल की व्यवस्था नहीं हो पाई है. नतीजा दिल्ली में ग्राउंड वॉटर का दोहन और बढ़ गया है.