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SC की टिप्पणी के बाद बोले शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी- हम नहीं हटेंगे

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने राय दी कि लगभग 2 महीनों से सार्वजनिक जगह पर प्रदर्शन किया जा रहा है. अदालत ने कहा है कि विरोध का हक है, लेकिन इसके लिए सार्वजनिक जगह का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.

शाहीन बाग में प्रदर्शन करतीं महिलाएं (फोटो-आजतक) शाहीन बाग में प्रदर्शन करतीं महिलाएं (फोटो-आजतक)
अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST

  • हटने को राजी नहीं शाहीन बाग की महिलाएं
  • सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद भी अडिग

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में 58 दिन से विरोध प्रदर्शन जारी है. इस प्रदर्शन के कारण नोएडा-दिल्ली सड़क बंद है. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अनंतकाल के लिए किसी सार्वजनिक रास्ते को बंद नहीं किया जा सकता है.

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नहीं खाली करेंगे सड़क

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर शाहीन बाग की महिलाओं ने कहा कि सरकार जब तक कानून वापस नहीं लेगी, हम नहीं हटेंगे. हमें मालूम है कि सार्वजनिक सड़क है, लेकिन काला कानून जब तक वापस नहीं होगा, नहीं हटेंगे.

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सोमवार को सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान लगभग 2 महीने से चल रहे विरोध-प्रदर्शन वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कोई आदेश तो नहीं दिया लेकिन कोर्ट ने ये टिप्पणी जरूर की कि किसी सार्वजनिक जगह को प्रदर्शन के लिए अनंतकाल तक जाम नहीं किया जा सकता है. इस मामले में अगली सुनवाई अब 17 फरवरी को होगी.

विरोध के लिए सार्वजनिक जगह का इस्तेमाल नहीं

जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने राय दी कि लगभग 2 महीनों से सार्वजनिक जगह पर प्रदर्शन किया जा रहा है. अदालत ने कहा है कि विरोध का हक है, लेकिन इसके लिए सार्वजनिक जगह का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.

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पढ़ें: शाहीन बाग पर SC ने कहा- हमेशा के लिए सड़क नहीं रोक सकते प्रदर्शनकारी

जस्टिस एस के कौल ने टिप्पणी की कि सड़क को प्रदर्शन के लिए जाम नहीं किया जा सकता है. इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को नोटिस भेजा है और एक सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा है.

बता दें कि शाहीन बाग में जाम खुलवाने के लिए कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है. 

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