
दिल्ली में एक बार फिर बारिश हुई और फिर सड़कों पर पानी भरा. लेकिन इसके लिए जिम्मेदारी का सवाल आया, तो फिर एमसीडी और दिल्ली सरकार के बीच तलवारें खिंच गईं. हर बार जब भी दिल्ली पानी-पानी होती है, सियासत में एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है, लेकिन दिल्ली पुलिस की एक चिट्ठी ने केजरीवाल सरकार की कलई खोल दी है और एमसीडी को अपनी कॉलर ऊंची करने का मौका दे दिया है.
चिट्ठी में 58 जगहों का जिक्र
दिल्ली पुलिस के डीसीपी ट्रैफिक ने तीनों एमसीडी, एनडीएमसी और पीडब्ल्यूडी को एक चिट्ठी लिखकर 11 जुलाई को हुई भारी बारिश के बाद 58 ऐसी जगहों की सूची भेजी थी, जहां भारी जलजमाव हुआ था. ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक इन 58 जगहों पर बारिश खत्म होने के काफी वक्त बाद भी पानी जमा रहा था और इसकी वजह से ट्रैफिक जाम हो गया था. दिल्ली पुलिस की ये चिट्ठी और उसमें 58 जगहों की सूची भी हमारे पास मौजूद हैं.
सभी सड़कें PWD के अधीन
दिलचस्प बात ये है कि इन 58 जगहों में से एमसीडी की एक भी सड़क नहीं थी. सभी 58 प्वाइंट पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर थे, जो दिल्ली सरकार के तहत आती है. इस बात से उत्साहित एमसीडी ने दिल्ली सरकार को आड़े हाथों लेने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी. साउथ एमसीडी में सदन के नेता सुभाष आर्या के मुताबिक ट्रैफिक पुलिस की रिपोर्ट भी अब दिल्ली सरकार के झूठ को बेनकाब कर रही है, क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री और सरकार के मंत्री अक्सर जलभराव के लिए एमसीडी को कोसते हैं, जबकि इसकी असल जिम्मेदारी उनकी है और रिपोर्ट भी कहती है कि पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर पानी भर रहा है.
पीडब्ल्यूडी मंत्री का तर्क
जब इस बारे में दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन से सवाल किया गया, तो उनकी दलील बड़ी अजीब रही. सत्येंद्र जैन के मुताबिक इस बार अगर 58 जगहों पर ही पानी भरा है, तो ये अच्छी बात है क्योंकि पिछले साल 150 से ज्यादा ऐसी जगह थीं, जहां पानी जमा हुआ था और जाम लगा था. लेकिन मंत्री जी ने शायद दिल्ली पुलिस की चिट्ठी ठीक से पढ़ी नहीं, क्योंकि इसी चिट्ठी में डीसीपी ने ये भी जानकारी दी है कि इन 58 जगहों में से सिर्फ 15 जगह ऐसी हैं, जो पहले वाली सूची के 160 प्वाइंट्स में शामिल रही हैं, जबकि 40 से ज्यादा नई जगहों पर इस बार की बारिश में पानी भरा है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि कब एजेंसियां सिर्फ बयानों से अपना बचाव करती रहेंगी और लोग सड़कों पर जल भराव से जूझते रहेंगे.