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दिल्लीः इंडस्ट्रियल एरिया में काम तो शुरू होगा, लेकिन फैक्ट्रियों में गिने-चुने मजदूर

दिल्ली में सोमवार से इंडस्ट्रियल एरिया में कामकाज शुरू हो जाएगा, लेकिन लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर मजदूर अपने गांव लौट चुके हैं. ऐसे में फैक्ट्रियों में सिर्फ गिने-चुने मजदूर ही बचे हैं.

कुछ मजदूर रुक गए थे, वही हैं फैक्ट्रियों में. कुछ मजदूर रुक गए थे, वही हैं फैक्ट्रियों में.
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2021,
  • अपडेटेड 11:56 PM IST
  • लॉकडाउन में घर लौट गए मजदूर
  • उन्हें वापस लाना सबसे बड़ी चुनौती

राजधानी दिल्ली में 31 मई की सुबह 5 बजे से इंडस्ट्रियल इलाकों में कामकाज शुरू हो जाएगा. अनलॉक की प्रक्रिया के तहत दिल्ली सरकार ने निर्माण कार्य के अलावा इंडस्ट्री खोलने के आदेश जारी कर दिए हैं. 'आजतक' की टीम ने सेंट्रल दिल्ली के आनंद पर्वत में इंडस्ट्रियल इलाके का जायजा लिया, जहां मजदूरों की कमी साफ नजर आई.

कोरोना की तबाही के बीच दिल्ली में 20 अप्रैल को लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी. कई हफ़्ते गुजर जाने के बाद दिल्ली को कोरोना से राहत मिलती नजर आ रही है. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान बिगड़ चुकी अर्थव्यवस्था को ऑक्सीजन देने का सिलसिला शुरू हो गया है.

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दिल्ली में ज्यादातर इंडस्ट्रियल इलाकों में कामकाज का शुरू होना इंडस्ट्री मालिकों के चेहरे पर खुशी लेकर तो आया है लेकिन लॉकडाउन में अपने राज्य या घर को लौट गए मजदूरों को वापस बुलाना अब भी एक चिंता का विषय बना हुआ है.

'आजतक' की टीम जब आनंद पर्वत के इंडस्ट्रियल इलाके पहुंची तो मुलाकात पिछले कई दशक से स्टील फैक्ट्री चला रहे पुनीत गोयल से हुई. पुनीत ने बताया कि इंडस्ट्री में कामकाज की शुरुआत तो हो गई है लेकिन लॉकडाउन की वजह से अब भी कई चुनौतियां सामने खड़ी हैं. उन्होंने कहा कि 'इंडस्ट्री खुलने की खुशी है. काम शुरू होगा तो घर चला सकेंगे और मजदूरों को काम भी मिलेगा.

हालांकि, आम दिनों में मेरी इंडस्ट्री में 20 से 22 मजदूर काम करते थे और फिलहाल 6 मजदूर ही फैक्ट्री में रह रहे हैं. बाकी मजदूर लॉकडाउन की वजह से घर लौट गए थे. जो मजदूर डर रहे थे उन्हें हमने नहीं रोका और जाने दिया लेकिन जो लॉकडाउन में साधन न मिलने की वजह से अपने घर नहीं जा पाए, उन तमाम मजदूरों को मासिक सैलरी से लेकर फैक्ट्री में रहने और खाने का इंतजाम करवाया था.'

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पुनीत ने आगे कहा कि कम मजदूरों की वजह से प्रोडक्शन पर असर पड़ेगा. ऐसे में अलग-अलग राज्यों में जा चुके मजदूरों को कोरोना संक्रमण से बचाकर फैक्ट्री में कामकाज के लिए लाना एक बड़ी चुनौती होगी. फैक्ट्री में काम कर रहे लोगों को मास्क पहनना, इलाके को सैनेटाइज करना तो होगा ही, लेकिन इंडस्ट्रियल इलाके में सोशल डिस्टेंसिंग करना आसान काम नहीं है, क्योंकि भारी भरकम रॉ मटीरियल को ट्रक में लोड करना या अनलोड करना एक बड़ी चुनौती होगी.'

दिल्ली के इंडस्ट्रियल इलाकों में बनी छोटी बड़ी फैक्ट्री के बंद रहने से काफी बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है. इंडस्ट्री मालिकों का कहना है कि कामकाज को पटरी पर लौटने में 2 से 3 महीने का समय लग जाएगा. पुनीत ने बताया कि फैक्ट्री में अगर पुराने मजदूर नहीं आते हैं तो नए मजदूर बुलाने होंगे जिन्हें नए सिरे से ट्रेनिंग देनी होगी. इंडस्ट्री मालिकों ने बताया कि कोरोना की वजह से उनके कई कस्टमर के घर या परिवार में किसी की मौत भी हुई है, जिससे व्यापार पर असर पड़ा है. 

लॉकडाउन में फैक्ट्री बंद होने से हुए नुकसान के सवाल पर पुनीत ने कहा कि फैक्ट्री में एक नट-बोल्ट भी खराब हो जाए, टूट जाए तो पूरी फैक्ट्री बंद करनी पड़ती है. ऐसे में आने वाले दिनों में पता चलेगा कि कितना नुकसान हुआ है.

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इसके अलावा कोरोना संक्रमण के मद्देनजर फैक्ट्री मालिक इंडस्ट्रियल इलाकों में काम करने वाले मजदूरों के लिए वैक्सीनेशन का प्लान भी तैयार कर रहे हैं. मजदूरों की तबीयत खराब होने की स्थिति में इलाज की सुविधा भी इंडस्ट्रियल इलाकों की एक बड़ी चिंता है. इंडस्ट्री मालिकों का कहना है कि फैक्ट्री में सबसे अहम रोल मजदूर निभाते हैं. ऐसे में मजदूरों को संक्रमण के खतरे से दूर रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी.

 

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