
दिल्ली दंगा मामले में साजिश रचने के आरोपी उमर खालिद की ओर से दायर जमानत की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से इस पर 6 हफ्ते में जवाब मांगा है.
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था. हाईकोर्ट ने माना था कि उमर खालिद के खिलाफ आरोप गंभीर हैं. हाईकोर्ट के फैसले को उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी है.
इससे पहले उमर खालिद ने निचली अदालत में जमानत अर्जी खारिज होने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अर्जी दाखिल की थी. मगर, वहां के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने भी उमर की जमानत खारिज करने का फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि इन दंगों की योजना दिसंबर 2019 से फरवरी 2020 तक हुई बैठकों में बनाई गई थी.
निचली कोर्ट के आदेश में दखल की जरूरत नहीं- दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि UAPA कानून के तहत लगी रोक का प्रावधान लागू होगा. खालिद के खिलाफ लगे आरोप प्रथम दृष्टि में सही हैं. लिहाजा निचली अदालत के द्वारा 24 मार्च को दिए गए आदेश में दखल देने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है. हाई कोर्ट ने कहा कि खालिद का नाम साजिश की शुरुआत से लेकर दंगों तक आया है. वह JNU के मुस्लिम छात्रों का सदस्य रहा है. उसने जंतर मंतर, जंगपुरा, सीलमपुर आदि मीटिंग में हिस्सा लिया था.
50 से अधिक लोगों की हिंसा में हुई थी मौत
बताते चलें कि फरवरी 2020 में दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में भीषण दंगे हुए थे. उन दौरान हुई हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा सैकड़ों लोग भी दंगों में हुई हिंसा में घायल हुए थे. पुलिस के मुताबिक, इन दंगों में लोगों की जान जाने के साथ साथ करोड़ों रुपये की संपत्ति का भी नुकसान हुआ था.