
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने यमुना नदी का एक वीडियो जारी कर हरियाणा सरकार पर यमुना नदी में बिना ट्रीट किया गया दूषित पानी छोड़ने का आरोप लगाया है. राघव चड्ढा के मुताबिक दूषित पानी की वजह से यमुना के पानी में अमोनिया का स्तर बढ़ रहा है. इसकी वजह से 30 दिसंबर को दिल्ली के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका है जिससे पानी की किल्लत हो सकती है.
दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक सिविल लाइंस, हिंदू राव हॉस्पिटल और इसके आसपास के इलाके, कमला नगर, शक्ति नगर, करोल बाग, पहाड़गंज, एनडीएमसी एरिया, ओल्ड और न्यू राजेंद्र नगर, पटेल नगर (ईस्ट और वेस्ट), बलजीत नगर, प्रेम नगर, इंद्रपुरी और इसके आस-पास के इलाकों में पानी की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है.
कालकाजी, गोविंदपुरी, तुगलकाबाद, संगम विहार, अंबेडकर नगर, प्रह्लादपुर और आसपास के इलाके, रामलीला मैदान, दिल्ली गेट, सुभाष पार्क, मॉडल टाउन, गुलाबी बाग, पंजाबी बाग, जहांगीरपुरी, मूलचंद, साउथ एक्सटेंशन, ग्रेटर कैलाश, बुराड़ी और कैंट इलाके के साथ ही दक्षिणी दिल्ली के कुछ अन्य इलाकों में भी पानी की आपूर्ति पर असर संभव है.
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दिल्ली जल बोर्ड का दावा है कि प्रभावित इलाकों में पानी की किल्लत दूर करने के लिए टैंकर का प्रबंध किया गया है. दिल्ली जल बोर्ड के चेयरमैन राघव चड्ढा ने बयान जारी कर कहा है कि साफ पानी दिल्ली का हक है. दिल्ली को वैसे भी जरूरत से कम पानी मिल रहा है और उसमें भी इतना अमोनिया मिल रहा है कि हमारे वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स में बार-बार दिक्कतें आ रही हैं. कई बार प्लांट बंद भी करना पड़ता है. कल यमुना के पानी में 7 पीपीएम तक अमोनिया था. इसकी वजह से वजीराबाद, चंद्रावल प्लांट की क्षमता 50 फीसदी तक कम हो गई और ओखला प्लांट पर भी काफी असर पड़ा.
पिछले 2 साल में अमोनिया का उच्चतम स्तर
दिल्ली जल बोर्ड का आरोप है कि पिछले एक साल से यमुना नदी में अमोनिया के स्तर में काफी उतार-चढ़ाव रहा है और हरियाणा सिंचाई विभाग के संबंधित अधिकारियों को कई बार सूचित करने के बावजूद सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई और सुधार नहीं हुआ है.
दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक फरवरी, मार्च, जुलाई, अक्टूबर, नवंबर और अब दिसंबर में वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला प्लांट के उत्पादन में हरियाणा द्वारा सप्लाई किए जा रहे कच्चे पानी में मौजूद अमोनिया की वजह से 25 से 80 फीसदी तक की कमी आई है. पिछले 2 साल में ये अमोनिया का सबसे उच्चतम स्तर है. यमुना में अमोनिया 7 पीपीएम तक बढ़ गया है जबकि प्लांट्स में अधिकतम 0.8 पीपीएम तक अमोनिया का ही ट्रीटमेंट किया जा सकता है.
एक्शन नहीं ले रही हरियाणा सरकार
राघव चड्ढा ने कहा है कि दिल्ली सरकार और दिल्ली जल बोर्ड के लगातार अनुरोध के बावजूद हरियाणा सरकार कोई एक्शन नहीं ले रही है. यमुना में नालों के जरिए इंडस्ट्री से निकलने वाला अमोनिया लगातार घुल रहा है. उन्होंने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और अपर यमुना रिवर बोर्ड से करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार की लापरवाही को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की जाए.
यमुना में कैसे बढ़ता है अमोनिया?
दिल्ली जल बोर्ड का कहना है कि हरियाणा में डीडी-1 और डीडी-2 दो नहरें हैं, इन दोनों नहरों से दूषित पानी यमुना में पहुंचता है. डीडी-2 नहर को डाई ड्रेन भी कहा जाता है क्योंकि इस नहर में इंडस्ट्रीज से निकला डाई ज्यादा मात्रा में होता है जिसमें भारी अमोनिया मौजूद होता है. ये दोनों नहरें हरियाणा के पानीपत जिले के शिमला गुजरन गांव के पास एक-दूसरे से मिलती हैं. शिमला गुजरन गांव से ये नहरें आगे बहते हुए खोजकीपुर गांव के पास यमुना नदी में मिल जाती हैं. यमुना में प्रदूषण फैलाने वाला ये एक बड़ा केंद्र है जहां अक्सर अमोनिया का स्तर 25 से 40 पीपीएम हो जाता है.
दिल्ली को सीएलसी, डीएसबी और यमुना के अलावा डीडी-8 नहर से भी पानी की सप्लाई की जाती है. डीडी-8 नहर के साथ कुछ किलोमीटर तक एक और नहर डीडी-6 (प्याऊं मनिहारी, हरियाणा) भी बहती है जिसमें हरियाणा भारी मात्रा में औद्योगिक और घरेलू दूषित पानी छोड़ता है. दोनों नहरों के बीच में रेत की बोरियों से बंटवारा किया गया है जो अक्सर कई जगहों पर टूटा भी है. इससे डीडी-6 का दूषित, अमोनिया वाला पानी डीडी-8 में मिल जाता है और इस तरह ये अमोनिया दिल्ली पहुंचता है. इसके अलावा रोहतक शहर का नाला (रोहतक एक्स-रेगुलेटर) भी पूरे शहर का गंदा पानी डीडी-8 नहर में लाकर गिराता है. रोहतक नाले में कई बार अमोनिया का स्तर 28 पीपीएम के करीब होता है.
दिल्ली जल बोर्ड का आरोप है कि हरियाणा सरकार अपने STPs और CETPs को भी अक्सर बंद रखती है और अक्सर बिना ट्रीट किया हुआ पानी और सीवेज यमुना में छोड़ते रहते हैं, जिससे यमुना का पानी गंदा होता जाता है और दिल्ली में पानी के साथ भारी मात्रा में अमोनिया पहुंचता है.