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दिल्ली: यमुना में तेजी से घुल रहा जहर! 8 साल में दोगुना हो गया प्रदूषण

दिल्ली के उपराज्यपाल ऑफिस ने यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण के आंकड़े जारी किए हैं. ये आंकड़े परेशान करने वाले हैं. उनके मुताबिक अरविंद केजरीवाल सरकार में पिछले 8 साल में नदी में प्रदूषण दोगुना हो गया है. एलजी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के आंकड़ों के आधार पर यह जानकारी दी है.

दिल्ली उपराज्यपाल कार्यालय ने जारी किए आंकड़े (फाइल फोटो) दिल्ली उपराज्यपाल कार्यालय ने जारी किए आंकड़े (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:28 AM IST

दिल्ली में यमुना नदी में तेजी से प्रदूषण बढ़ रहा है. उपराज्यपाल कार्यालय ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि पिछले आठ वर्षों में दिल्ली में यमुना नदी का प्रदूषण दोगुना हो गया है. डीपीसीसी और दिल्ली जल बोर्ड ने शनिवार को LG वीके सक्सेना को यमुना में प्रदूषण को लेकर एक प्रेजेंटेशन दिया था. इसमें उसने कहा कि वह पुरानी समस्याओं को हल करने के लिए पहले से ही काम कर रहा है और लगभग सभी प्रमुख सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) का उन्नयन दिसंबर के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है.

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यमुना की सफाई के लिए नौ जनवरी को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की पहली बैठक से पहले एलजी ने जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए बैठक बुलाई थी. एनजीटी ने दिल्ली एलजी से समिति का नेतृत्व करने का अनुरोध किया था.

अनधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी-झोपड़ी समूहों से अपशिष्ट जल, एसटीपी और सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों से निकलने वाले उपचारित अपशिष्ट जल की खराब गुणवत्ता नदी में प्रदूषण के उच्च स्तर के मुख्य कारण हैं.

डीपीसीसी के आंकड़ों से पता चलता है कि जैविक आक्सीजन मांग (बीओडी) का स्तर 2014 से पल्ला में दो मिलीग्राम प्रति लीटर की अनुमेय सीमा के भीतर बना हुआ है. यहां से नदी दिल्ली में प्रवेश करती है.

बीओडी, पानी की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है. साथ ही एरोबिक सूक्ष्मजीवों द्वारा जल निकाय में मौजूद कार्बनिक पदार्थों को विघटित करने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा है. बीओडी का स्तर तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से कम अच्छा माना जाता है.

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दिल्ली में 8 जगहों से लिए गए सैंपल

डीपीसीसी के डाटा के मुताबिक ओखला बैराज में, जहां से नदी दिल्ली छोड़ती है और यूपी में प्रवेश करती है. बीओडी का स्तर 2014 में 32 मिग्रा/लीटर से बढ़कर 2023 में 56 मिग्रा/लीटर हो गया है.

डीपीसीसी हर महीने पल्ला, वजीराबाद, आईएसबीटी पुल, आईटीओ पुल, निजामुद्दीन पुल, आगरा नहर, ओखला बैराज और असगरपुर में नदी के पानी के नमूने एकत्र करता है. सूत्र ने कहा कि केजरीवाल सरकार में पिछले आठ वर्षों में नदी में प्रदूषण का भार दोगुना हो गया है.

प्रदूषण में साल-दर-साल वृद्धि 2014 के बाद से 2019 के एकमात्र अपवाद के साथ लगातार रही है. जब हरियाणा ने यमुना नहर की मरम्मत का काम करते हुए हथिनी कुंड बैराज से यमुना में अधिक पानी छोड़ा था, तब नदी में प्रदूषक तत्व बहकर आए थे. सूत्र के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के लगातार निर्देशों और निगरानी के बावजूद प्रदूषण में यह घातक वृद्धि मुख्य रूप से आप सरकार द्वारा नजफगढ़ नाले से प्रदूषण की जांच करने में विफल रही है.

नजफगढ़ में घुल रहा सबसे ज्यादा प्रदूषाण

आईएसबीटी में बीओडी का स्तर, नजफगढ़ नाले के यमुना में गिरने के ठीक बाद, 2014 में 26 मिग्रा/लीटर से बढ़कर 2017 में 52 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया और आज भी 38 मिलीग्राम प्रति लीटर के उच्च स्तर पर बना हुआ है. नजफगढ़ नाले का यमुना में छोड़े जाने वाले अपशिष्ट जल का 68.71 प्रतिशत हिस्सा है. आज भी सीवेज को नाले में और फिर यमुना में छोड़ा जा रहा है. इसके अलावा शाहदरा ड्रेन में 10.90 प्रतिशत वेस्ट वॉटर डिस्चार्ज यहीं होता है. यह दूसरा सबसे बड़ा प्रदूषक है.

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सूत्रों ने कहा कि दो नालों की सफाई का काम नहीं किया गया. नजफगढ़ नाले में बहने वाले नालों को अनट्रीडेट सीवेज को नाले में और फिर यमुना में छोड़ा जा रहा है. 

दिल्ली में 26 एसटीपी मानकों का पालन नहीं कर रहे

दिल्ली में 35 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में से सिर्फ नौ डीपीसीसी मानकों का पालन करते हैं. डीपीसी नियमों के अनुसार, उपचारित अपशिष्ट जल में बीओडी और टीएसएस (कुल घुलनशील ठोस) 10 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होना चाहिए.

दिल्ली एक दिन में लगभग 768 मिलियन गैलन (एमजीडी) सीवेज उत्पन्न करती है, जिसे 530 एमजीडी की संचयी उपचार क्षमता वाले इन 35 एसटीपी में उपचारित किया जाता है. हालांकि ये एसटीपी अपनी स्थापित क्षमता के केवल 69 प्रतिशत पर काम करते हैं, इसलिए प्रभावी रूप से रोजाना केवल 365 एमजीडी सीवेज का ट्रीटमेंट किया जाता है.

इंजीनियरों को जारी किया गया था नोटिस

जल बोर्ड पहले से ही इन पुरानी समस्याओं को हल करने के लिए काम कर रहा है. लगभग सभी प्रमुख एसटीपी को अपग्रेड करने के लिए काम दे चुका है. यूटिलिटी के वाइस चेयरमैन सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इसके दिसंबर 2023 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, जहां भी कमियां पाई गई हैं, हमने एसटीपी चलाने वाले निजी संचालकों और दिल्ली जल बोर्ड द्वारा संचालित संयंत्रों के मामले में कार्यकारी इंजीनियरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया.

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उन्होंने यह भी दावा किया कि परियोजनाओं को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वित्त विभाग द्वारा बनाई गई बाधाओं के कारण छह महीने के लिए सभी भुगतान रोक दिए गए थे. उन्होंने कहा, "इससे काम में और देरी हो सकती है. हम उम्मीद करते हैं और एलजी से वित्त विभाग के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं.

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