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भगदड़ की घटनाओं को रोकने के लिए गाइडलाइंस बनाने की मांग, SC में दायर हुई जनहित याचिका

याचिका में कहा गया है कि भगदड़ की घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को मिलकर समन्वय स्थापित करना होगा और कुछ ठोस उपाय व दिशानिर्देश लागू करने होंगे. याचिका में केंद्र और राज्यों को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर समन्वय स्थापित करें और भगदड़ की घटनाओं को रोकने के लिए दिशा-निर्देश और उपाय तैयार करें.

सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में भगदड़ रोकने के लिए दिशानिर्देश बनाने की मांग की गई है (File Photo) सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में भगदड़ रोकने के लिए दिशानिर्देश बनाने की मांग की गई है (File Photo)
सृष्टि ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 17 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 11:52 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने याचिका दायर कर देश के विभिन्न हिस्सों में लगातार हो रही भगदड़ की घटनाओं को रोकने के लिए दिशानिर्देश बनाने की मांग की है. एडवोकेट विशाल तिवारी द्वारा दायर इस जनहित याचिका में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, महाकुंभ, हाथरस (2024) जैसी घटनाओं का उल्लेख किया गया है.

याचिका में कहा गया है कि भगदड़ की घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को मिलकर समन्वय स्थापित करना होगा और कुछ ठोस उपाय व दिशानिर्देश लागू करने होंगे. याचिका में केंद्र और राज्यों को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर समन्वय स्थापित करें और भगदड़ की घटनाओं को रोकने के लिए दिशा-निर्देश और उपाय तैयार करें.

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NDMA की रिपोर्ट लागू करने की अपील

इसके अलावा, याचिका में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा 2014 में जारी रिपोर्ट 'आयोजनों और सामूहिक सभा स्थलों पर भीड़ प्रबंधन' को लागू करने और उस पर विचार करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है. याचिका में भारतीय रेलवे को भी रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय करने के निर्देश देने की मांग की गई है.

वकील ने कोर्ट से किया स्वतः संज्ञान लेने का अनुरोध
  
इससे पहले, दिन में एक महिला वकील ने सुप्रीम कोर्ट में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ की घटना का उल्लेख किया और जस्टिस अभय ओका की अध्यक्षता वाली पीठ से अनुरोध किया कि अदालत इस मामले में स्वतः संज्ञान ले. हालांकि, जस्टिस अभय एस. ओका ने वकील को बताया कि इस प्रकार के मामले का उल्लेख CJI की पीठ के समक्ष किया जाता है.

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