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धार्मिक स्थलों पर भी नोटबंदी का असर, कैश की कमी से बढ़ी लंगर खाने वालों की संख्या

गुरुद्वारा शीशगंज के प्रबंधक मुख़्तियार सिंह ने बताया, 'सराय में ठहरने वाले लोग पुराने नोट न चलने की शिकायत करते हैं. जो यात्री बाहर से आ रहे हैं उन्हें परेशानी आ रही है. उन्हें पता है कि गुरुद्वारे में लंगर मिलेगा और नोटबंदी के बाद खपत दोगुने से बढ़ गई है.'

लंगर बनाते सेवादार लंगर बनाते सेवादार
अंजलि कर्मकार/पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 3:11 AM IST

नोटबंदी का असर धार्मिक स्थलों पर भी देखने मिल रहा है. चांदनी चौक के शीशगंज गुरुद्वारा में नोटबंदी के बाद आटे की खपत दो गुना हो गई है, तो दाल और सब्जी की खपत पहले के मुताबिक ज्यादा हो रही है. 'आजतक' ने शीशगंज गुरुद्वारे के रसोई घर का दौरा किया और यहां के प्रबंधक से बातचीत की. पता चला कि लंगर खाने वालों की संख्या नोटबंदी के ऐलान के बाद अचानक बढ़ी है.

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क्या कहते हैं प्रबंधक?
गुरुद्वारा शीशगंज के प्रबंधक मुख़्तियार सिंह ने बताया, 'सराय में ठहरने वाले लोग पुराने नोट न चलने की शिकायत करते हैं. जो यात्री बाहर से आ रहे हैं उन्हें परेशानी आ रही है. उन्हें पता है कि गुरुद्वारे में लंगर मिलेगा और नोटबंदी के बाद खपत दोगुने से बढ़ गई है.'

क्या कहते हैं सुपरवाइजर?
शीशगंज गुरुद्वारे में रसोईघर के सुपरवाइजर गुरुदेव ने बताया, 'नोटबंदी से पहले 6 क्विंटल आटा इस्तेमाल होता था, जो अब 14 क्विंटल तक पहुंच गया है. सब्जी का बजट भी दोगुना हो गया है. लंगर 24 घंटे खुला रहता है इस वजह से लोग लगातार आते हैं.'

क्या कहते हैं सेवादार?
गुरुद्वारा में इंतजाम देखने वाले लोगों के मुताबिक, शीशगंज गुरुद्वारे में भीड़ बढ़ने की एक वजह आसपास रेलवे स्टेशन, चांदनी चौक का बाजार, लाल किला भी है. कैश ना होने की वजह से लोग खाना खाने के लिए गुरुद्वारे में लंगर करने चले आते हैं. कभी-कभी खाना कम पड़ने पर दिल्ली के बड़े गुरुद्वारों से खाना मंगाना पड़ जाता है.

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