
देश में बीते साल कोरोना की जब पहली लहर आई थी तो सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों और पहले से गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोगों को बताया जा रहा था. ऐसे में साल 2021, 18 फरवरी तक कुल एक लाख 56 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई और 16 अप्रैल को मौत का आंकड़ा 1 लाख 74 हजार तक पहुंच गया. यानि 57 दिन में 18 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी. अब आने वाले आंकड़े काफी परेशान करने वाले हैं, वहीं कोरोना की दूसरी लहर में खतरा दोगुना हो गया है. मिली जानकारी के मुताबिक दो महीने से कम वक्त में 80 हजार बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए हैं. इसका मतलब अब बच्चों को वायरस का खतरा पहले से कहीं ज्यादा है.
माना जा रहा है कि कोरोना को लेकर लापरवाही और रियायतें इसकी सबसे बड़ी वजहें हैं. बच्चों का अचानक बाहर ज्यादा निकलना, स्कूल-कॉलेज का खुल जाना, लोगों से मिलना, ग्रुप में खेलना, खराब हाईजीन और मास्क ना पहनने जैसी वजहों के चलते कोरोना का नया स्ट्रेन बच्चों को आसानी से अपनी चपेट में ले रहा है. हाल ही में गुजरात के सूरत में 14 दिन के नवजात बच्चे ने कोरोना की वजह से दम तोड़ दिया. वहीं 7 अप्रैल को सूरत में 13 साल के एक और बच्चे की मौत हुई. पानीपत में तो मां के गर्भ में ही बच्चे को कोरोना हो गया है. जिसमें मां पहले से ही संक्रमित है. इन सब आंकड़ों को देखते हुए कोरोना ने इस बार कई धारणाएं बदल दी हैं. कोरोना की पहली लहर में माना जाता था कि इसका बच्चों पर असर घातक नहीं है, लेकिन इसबार ये धारणा टूट गई है.
दूसरी लहर में बच्चों पर संक्रमण का प्रभाव बड़ों जैसा
डॉक्टर और एक्सपर्ट की माने तो कोरोना की दूसरी लहर में बच्चों पर संक्रमण का प्रभाव ठीक उसी तरह से होता है जैसे किसी बड़े पर. अंतर ये है कि अब भी बच्चों में कोरोना से लड़ने की क्षमता दूसरों से ज्यादा है. लेकिन कई मामले ऐसे भी आए हैं जहां बच्चों की जिंदगी को बचाया नहीं जा सका है, लिहाजा सावधान रहना बेहद जरूरी है.
एक्सपर्ट के मुताबिक अगर बच्चों को डायरिया, उल्टी, पेट में दर्द की शिकायत हो तो तुरंत सावधान हो जाइए. वहीं अगर बच्चे को तेज बुखार, सांस लेने में दिक्कत, हल्की खांसी, नाक का लगातार बहना जैसा हो रहा है तो यह भी कोरोना संक्रमण के लक्षण के अंतर्गत ही आता है. एक्सपर्ट का कहना है कि जब बच्चा बहत जल्दी थकने लगे और भूख भी कम हो जाए तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें. तुरंत नजदीकी डॉक्टर से संपर्क कर समय से बच्चे को इलाज दें.
नोएडा में बच्चों के लिए कोविड हॉस्पिटल
बता दें कि हाल ही में नोएडा में 10 बच्चों के कोरोना वायरस संक्रमित पाए जाने के बाद सेक्टर-30 में स्थित सुपर स्पेशलिटी चाइल्ड हॉस्पिटल में बच्चों के लिए 50 बेड का कोविड-19 अस्पताल शुरू किया गया है. हालांकि इस कोविड-19 हॉस्पिटल में सिर्फ 18 साल से कम उम्र के संक्रमित मरीजों का इलाज किया जाएगा. इस अस्पताल की चौथी फ्लोर पर यह कोविड-19 सेंटर बनाया जाएगा इसमें बच्चों को आम संक्रमित लोगों से बचने के लिए खास इंतजाम किए जा रहे हैं. इलाज के लिए आए आम बच्चों और उनके परिजनों को इस कोविड-19 केअर सेंटर से अलग रखा जाएगा. जहां उन्हें इलाज की अलग से सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. अगर जरूरत पड़ी, तो भविष्य में बच्चों के लिए बेड की संख्या बढ़ाई जाएगी.
बच्चों के लिए वैक्सीन
गौरतलब है कि मॉर्डना ने अमेरिका में बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल कुछ हफ्ते पहले शुरू किया था. इसे KidCOVE अभियान कहा गया है. इस अभियान के तहत अमेरिका और कनाडा में 6 महीने से 11 साल तक के 6750 बच्चों को ट्रायल के लिए रजिस्टर किया गया है. वहीं मॉडर्ना के अलावा और भी कई कंपनियां बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल कर रही हैं. Pfizer/BioNTech बच्चों पर अपने वैक्सीन को लेकर स्टडी कर रही है. साथ ही Johnson & Johnson भी 12 साल से 18 साल के किशोरों पर वैक्सीन के ट्रायल का ऐलान कर चुकी है. ऐसे में उम्मीद है कि इस साल के अंत तक बच्चों के लिए भी वैक्सीन आ जाएगी.