
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) कुछ और महीनों के लिए प्रभारी बने रहेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले पैनल ने AIIMS दिल्ली के अगले डायरेक्टर को पद पर नियुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर नाम मांगे हैं.
डॉक्टर गुलेरिया का कार्यकाल 24 मार्च को समाप्त होने वाला था, लेकिन उनके कार्यकाल को 24 जून तक तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया था, क्योंकि प्रधान मंत्री के नेतृत्व वाला पैनल प्रमुख पद के लिए उम्मीदवारों की जांच की प्रक्रिया में था. आजतक को पता चला है कि पहले प्रस्तावित नामों को व्यापक परामर्शी प्रतिक्रिया (wider consultative feedback) के लिए भेजा गया था, हालांकि, यह बहुत अनुकूल नहीं रहा है और अब और नामों की मांग की जा रही है.
AIIMS के जिन तीन डॉक्टरों के नामों की सिफारिश पहले की गई थी. इनमें एंडोक्रिनोलॉजी डिपार्टमेंट के चीफ निखिल टंडन, एम्स ट्रामा सेंटर के चीफ राजेश मल्होत्रा और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में प्रोफेसर प्रमोद गर्ग शामिल थे.
पहले जिन नामों को खोज सह चयन समिति की ओर से लिस्टेड किया गया था और संस्थान निकाय द्वारा अनुमोदित किया गया था, उन्हें अनुमोदन के लिए एसीसी को भेजा गया था, इसलिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने और नामों की मांग की है. सूत्रों के अनुसार तब तक डॉ रणदीप गुलेरिया एम्स दिल्ली में डायरेक्टर के पद पर बने रहेंगे.
बता दें कि AIIMS के नए डायरेक्टर के नाम पर अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति करेगी. इस समिति के सदस्यों में दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, जैव प्रौद्योगिकी विभाग सचिव राजेश एस. गोखले, सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन शामिल हैं.
कोरोना काल से गुलेरिया को मिली अलग पहचान
AIIMS के निदेशक के तौर पर गुलेरिया का कोरोना को लेकर दिए सुझाव ना केवल लोगों ने माना बल्कि कई तरह से भ्रम को गुलेरिया ने अपना साफगाई से दूर भी किया. पेशे से पलमोलॉजिस्ट गुलेरिया ने प्रदूषण से फेफड़े पर पड़ने वाला दुष्प्राभावों के बारे में काफी गहन अध्ययन भी किया है. तीसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी के मुद्दे पर गुलरिया के ऑक्सीजन की कमी वाले ट्वीट पर सियासी तीर भी चले थे.