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दिल्ली: किलर चाइनीज मांझे पर देर से जागी सरकार

दिल्ली में चाइनीज़ मांझे से दो मौत होने के बाद आखिरकार दिल्ली सरकार हरकत में आई है. सरकार ने इन मांझों पर प्रतिबंध लगाने के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.

चाईनीज मांझे पर बैन चाईनीज मांझे पर बैन
कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 17 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 8:25 AM IST

दिल्ली में चाइनीज़ मांझे से दो मौत होने के बाद आखिरकार दिल्ली सरकार हरकत में आई है. सरकार ने इन मांझों पर प्रतिबंध लगाने के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इस नोटिफिकेशन पर लोगों से राय मांगी गई है, जिन्हें कोई आपत्ति या सुझाव देने हैं उन्हें 6 दिन यानि दो महीने के भीतर ऐसा करना होगा.

पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव
ड्राफ्ट नोटिफिकेशन दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग ने जारी किया है. ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में नायलोन, प्लास्टिक और चीनी मांझे जिनका इस्तेमाल पतंग उड़ाने के लिए किया जाता है, उनके इस्तेमाल, भंडार और बेचने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है. केवल सूती धागे और बिना शीशे वाले धागों के इस्तेमाल पर ही कोई रोक नहीं रहेगी.

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क्या होता है चाइनीज मांझा?
इस नोटिफिकेशन में चाइनीज मांझे को भी परिभाषित करने की कोशिश की गई है. नोटिफिकेशन के मुताबिक चाइनीज मांझा प्लास्टिक या अन्य सिंथेटिक पदार्थों से बना पक्का धागा होता है, जिसे आम तौर पर चीनी धागे के नाम से भी जाना जाता है. ये न सिर्फ जानलेवा होता है, बल्कि नॉन बायो डिग्रेडेबिल भी होता है, यानि इसका विघटन जमीन में नहीं हो पाता है.

मेटल का होता है इस्तेमाल
इससे पक्षियों और लोगों को चोट लगने का डर तो होता ही है, साथ ही साथ ये नालों और नदियों का रास्ता तो रोकता ही है, खाने-पीने की चीजों में मिलकर गाय और ऐसे ही जानवरों का दम भी घोंट सकता है. इसके अलावा इसमें मेटल यानि धातु का इस्तेमाल होता है, जिससे ये बिजली के भी सुचालक हो जाते हैं और करंट लगने का खतरा भी बना रहता है.

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क्यों नहीं हुआ अब तक बैन चाइनीज मांझा?
इन मांझों को लेकर पहले से ही बैन की मांग होती रही है. लेकिन सरकार के ढ़ीले रवैये से अब तक नोटिफिकेशन नहीं हो पाया है. जब दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ऐसे मांझों ने कई लोगों को न सिर्फ घायल किया बल्कि दो की जान भी ले ली तब जाकर दिल्ली सरकार ने ये ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है.

सियासत जारी है
लेकिन सियासत अब भी जारी है, जहां दिल्ली सरकार ने पहले दावा किया था कि इस मसले पर दिल्ली के उपराज्यपाल ने समय से मंजूरी दी होती तो इसे पहले ही लाग किया जा सकता था. वहीं उपराज्यपाल सचिवालय के सूत्रों ने बताया है कि नोटिफिकेशन का प्रारूप उनके पास 8 अगस्त को भेजा गया था जिसे उन्होंने अगले ही दिन यानि 9 अगस्त को वापस लौटा दिया यानि देरी दिल्ली सरकार ने की. अब देरी चाहे जिसकी वज़ह से हुई हो जानलेवा मांझे ने मासूमों की जान तो ले ही ली.

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