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DU के हंसराज कॉलेज में खुला 'Cow Research Centre', छात्रों को मिलेगा दूध-दही

दिल्ली विश्वविद्यालय के जाने-माने हंसराज कॉलेज में स्वामी दयानंद सरस्वती गौ-संवर्धन एवं अनुसंधान केंद्र तैयार किया गया है. इसके जरिए छात्रों को दूध-दही भी दिया जाएगा. प्राचार्य डॉ. रमा का कहना है कि कॉलेज एक गोबर गैस प्लांट पर भी काम कर रहा है, जिसे केंद्र का सहयोग मिल सकता है. इसके अलावा हम गाय के विभिन्न पहलुओं पर शोध कर सकते हैं.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 4:02 PM IST
  • गोबर गैस प्लांट पर भी काम शुरू
  • एक गाय के साथ शुरू हुआ केंद्र

इस साल दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज में कुछ नया देखने को मिल रहा है. ये है- गाय संरक्षण और अनुसंधान केंद्र. स्वामी दयानंद सरस्वती गौ-संवर्धन एवं अनुसंधान केंद्र नाम से स्थापित इस केंद्र को एक गाय के साथ शुरू किया गया है और प्रिंसिपल डॉ रमा के अनुसार, "यदि किया गया शोध उपयोगी और फायदेमंद साबित होता है" तो इसे बढ़ाया जाएगा.  डॉ. रमा के अनुसार, केंद्र सिर्फ "गाय के विभिन्न पहलुओं पर शोध" नहीं करेगा, बल्कि यहां से छात्रों और मासिक "हवन" (प्रार्थना अनुष्ठान) के लिए "शुद्ध दूध और घी" भी प्रदान किया जाएगा.

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इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार उन्होंने आगे कहा कि हमारा कॉलेज एक डीएवी ट्रस्ट कॉलेज है और इसका आधार आर्य समाज है. उस परंपरा के अनुरूप, हम हर महीने के पहले दिन हवन करते हैं, जिसमें सभी शिक्षण, गैर-शिक्षण कर्मचारी और छात्र शामिल हो सकते हैं. उस (हवन) के दौरान, हम उन सभी लोगों का अभिनंदन करते हैं जिनका भी उस महीने जन्मदिन होता है. इसके लिए हमें हर महीने बाजार में जाकर पूजा पर चढ़ाने के लिए जरूरी चीजें जैसे कि शुद्ध घी खरीदना पड़ता है. लेकिन हम अब इसमें आत्मनिर्भर हो सकते हैं.
 
वर्तमान में, ये गौ केंद्र पुरुषों के छात्रावास से लगकर कॉलेज के गेट के पास स्थित है. लेकिन ऐसे और केंद्र बनाए जाने बाकी हैं. प्राचार्य डॉ. रमा का कहना है कि कॉलेज एक गोबर गैस प्लांट पर भी काम कर रहा है, जिसे केंद्र का सहयोग मिल सकता है. इसके अलावा हम गाय के विभिन्न पहलुओं पर शोध कर सकते हैं. एक और विचार यह है कि जब होस्टल खुलेगा तो छात्रों के लिए शुद्ध दूध और दही मिल सकेगा.

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दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारियों को फिलहाल जानकारी नहीं है कि डीयू के अन्य कॉलेजों में भी ऐसी कोई पहल की गई है या नहीं. रजिस्टार विकास गुप्ता ने कहा, "मुझे इस विशेष परियोजना के बारे में पता भी नहीं था. यह कॉलेज के स्तर पर एक अच्छी पहल साबित होनी चाहिए.''

 

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