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टंगिया ग्रुप के मुखिया की हत्या के मामले में जेएनयू और डीयू की प्रोफेसर भी आरोपी

शनिवार को सोमनाथ की सुकमा के नामा गांव में हुई हत्या हुई थी. सोमनाथ के यहां तीन दिन पहले ही लड़का हुआ था. वह अपनी पत्नी की मदद के लिए घर पर ही था. नक्सली छिपकर उसके घर पहुचे और उसकी हत्या कर दी.

नंदनी सुंदर के खिलाफ मामला दर्ज नंदनी सुंदर के खिलाफ मामला दर्ज
सुनील नामदेव
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 10:49 AM IST

छह माह से नक्सलियों के नाक में दम करने वाले टंगिया ग्रुप के मुखिया सोमनाथ की आखिरकार नक्सलियों ने तीन दिन पहले हत्या कर दी. अब जब इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया तो उसमें जेएनयू और डीयू के प्रोफेसरों का भी नाम शामिल है. कुख्यात नक्सलियों समेत आधा दर्जन लोगो के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है.

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दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर पर मामला दर्ज
शनिवार को सोमनाथ की सुकमा के नामा गांव में हुई हत्या हुई थी. सोमनाथ के यहां तीन दिन पहले ही लड़का हुआ था. वह अपनी पत्नी की मदद के लिए घर पर ही था. नक्सली छिपकर उसके घर पहुचे और उसकी हत्या कर दी. पुलिस ने जिले के तोंगपाल थाने में नक्सली नेता विनोद, श्यामला सहित दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर नंदनी सुंदर, जेएनयू की प्रोफेसर अर्चना प्रसाद और सीपीआई नेता संजय पराते सहित अन्य 6 लोगो के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है.

टंगिया ग्रुप की वजह से गांव में दाखिल नहीं हो पाते थे नक्सली
सुकमा जिले का कुम्माकोलेंग इलाका घने जंगलो के भीतर है. एक वक्त यहां नक्सलियों का आतंक था. इससे त्रस्त होकर गांव वालों ने मिलकर एक ग्रुप बनाया, जिसका नाम दिया टंगिया ग्रुप. ये ग्रुप तीर-कमान और टंगिया लेकर गांव की रक्षा करता है इस ग्रुप में लगभग 250 लोग शामिल है. वह गांव में होने वाली हर गतिवधि पर नजर रखते थे, यदि कोई व्यक्ति बाहर से यहां आता है तो उसकी पूरी जानकारी ये हथियारबंद जवान लेते है. इन्होनें फोटोग्राफी और विडियोग्राफी पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया हुआ था. सौतनार इलाका का यह इलाका जगदलपुर से करीब 55 किमी दूर है. इसके कुम्माकोलेंग, नामा, कुपड़ी गोविंदपाल सहित अन्य गांवों में पिछले छह माह से नक्सली दाखिल नहीं हो पाए है.

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गांववालों ने किया नक्सलियों का बहिष्कार
इलाके के लोगो ने खुद ही नक्सलियों के खिलाफ सशस्त्र लड़ाई का आगाज कर दिया. घोषणा भी की कि वे नक्सलियों को गांव में नहीं आने देंगे. नक्सलियों के चलते गांव का पूरा विकास रुक सा गया था. गांव के बच्चे और जवान मज़बूरी में नक्सली वारदातों में शामिल हो रहे थे, ऐसे में गांव वालों ने आसपास के गांव के लोगो की बैठक बुलाई और फिर नक्सलियों के बहिष्कार का फैसला लिया.

गांव वालों ने पहले नक्सली वारदातों में शामिल रह चुके लोगो का समर्पण करवाया और फिर टंगिया ग्रुप के नाम से शस्त्र आंदोलन शुरू किया. एएसपी विजय पांडे के मुताबिक यह गांव वालों का ऐतिहासिक फैसला था. गांव वालों के इस निर्णय से नक्सलियों का आला नेतृत्व भी परेशान है. उनके मुताबिक नक्सलियों ने अपना दबदबा कायम करने के लिए सोमनाथ की हत्या की है. उनके मुताबिक हत्या की साजिश काफी पहले रची गई थी. इसमें दिल्ली के कुछ प्रोफ़ेसर भी नक्सलियों के साथ प्लान तैयार करने में शामिल रहे. हालांकि एएसपी विजय पांडेय ने जाँच का हवाला देकर ज्यादा कुछ कहने से इनकार कर दिया. उन्होंने इस मामले में कैमरे पर भी कहने से इनकार किया.

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