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मुख्य चुनाव आयुक्त को राज्यपाल बनने का लालच: आप विधायक अलका लांबा

चुनाव आयोग की सिफारिश पर चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा ने हैरानी जताई है. उनका कहना है कि, 'हैरानी की बात यह है कि अब तक सुनवाई चल ही रही थी और ऐसा लगता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ए.के. ज्योति दवाब में हैं, क्योंकि वो जल्द ही रिटायर होने वाले हैं.

अलका लांबा (फाइल) अलका लांबा (फाइल)
पंकज जैन/रणविजय सिंह
  • नई द‍िल्ली,
  • 19 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST

चुनाव आयोग ने लाभ के पद के मामले में दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की है. वहीं, आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने का फैसला किया है. चुनाव आयोग की इस सिफारिश पर अयोग्य ठहराए गए विधायकों का कहना है कि, आयोग ने हमारी बात सुने बिना ही असंवैधानिक तरीके से हमें अयोग्य करार दे दिया.

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दबाव में हैं मुख्य चुनाव आयुक्त: अलका लांबा

चुनाव आयोग की सिफारिश पर चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा ने हैरानी जताई है. उनका कहना है कि, 'हैरानी की बात यह है कि अब तक सुनवाई चल ही रही थी और ऐसा लगता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ए.के. ज्योति दवाब में हैं, क्योंकि वो जल्द ही रिटायर होने वाले हैं. ए.के. ज्योति को राज्यपाल बनाने का लालच देकर दवाब में फैसला देने को कहा गया है.'

अलका लांबा ने कहा, 'आम आदमी पार्टी को कोई नुकसान या खतरा नहीं है. जो सरकार 2015 में बनी थी वो सरकार बरकरार है. आम आदमी पार्टी के लोग चुनाव से नहीं डरते हैं, लेकिन आज सरेआम लोकतंत्र की हत्या हो रही है. अगर फायदा उठाया है तो संसदीय सचिव की गाड़ी का नम्बर बता दीजिए. जनता के सामने सैलरी स्लिप रखने को तैयार हूं. न सैलरी मिली, न गाड़ी और न दफ़्तर मिला.'

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अलका लांबा ने कहा, 'लोकतंत्र में तानाशाही नहीं चलेगी. जनता के सामने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट साबित करके दिखाएं. मुख्यमंत्री से फिलहाल कोई बातचीत नहीं हुई है. तमाम विधायक हाइकोर्ट का रुख कर रहे हैं. हम पूरी हिम्मत से लड़ाई लड़ेंगे. 5 साल केजरीवाल के नारे के साथ 3 साल हो गए और 2 साल तक बाकी सरकार चलाएंगे.'

आप सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही: अनिल बाजपेयी

वहीं, गांधीनगर विधानसभा सीट से विधायक अनिल बाजपेयी ने कहा, 'चुनाव आयोग ने विधायकों की बात सुने बिना ही असंवैधानिक तरीके से अयोग्य करार दिया है. विधायकों ने सरकारी गाड़ी नहीं ली, न सैलरी ली और अगर इसके बावजूद अयोग्य ठहराया गया है तो यह बीजेपी की केंद्र सरकार के इशारे पर फैसला लिया है. शुरुवात से ही आम आदमी पार्टी सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही थी. विधायकों ने चुनाव आयोग से पूछा है कि वो बताएं क्या प्रॉफिट विधायकों ने लिया. पूरे मामले को हाइकोर्ट तक लेकर जाएंगे, हमें न्यायालय पर भरोसा है.'

विधायकों को अयोग्य ठहराना न्यायपूर्ण नहीं: नरेश यादव

महरौली विधानसभा सीट से विधायक नरेश यादव ने कहा, 'चुनाव आयोग को विधायकों ने तमाम सबूत दिए थे. किसी भी तरह से यह मामला ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का नहीं है. चुनाव आयोग ने अगर अयोग्य ठहराने की बात कही है तो यह दुखद है, लेकिन न्यायपूर्ण नहीं है. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के तहत न विधायकों को सैलरी, न गाड़ी दी गयी है और फायदा न देने की बात साफ तौर पर नोटिफिकेशन में भी लिखी हुई है. संसदीय सचिव सिर्फ सेवा भाव से नियुक्त किए गए थे. पूरे मामले में फाइनल बहस भी नहीं हुई है.'   

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