
वैसे तो एमसीडी और दिल्ली सरकार का हमेशा से ही 36 का आंकड़ा रहा है, लेकिन बात जब भत्ते की आती है तो अब साउथ एमसीडी भी दिल्ली सरकार की राह पर चल पड़ी है. जी हां, साउथ एमसीडी ने पार्षदों के भत्ते को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है, जिसे दिल्ली सरकार के पास अनुमति के लिए भेजा जाएगा.
पार्षदों को मिलता है 300 से 3,000 रुपये का भत्ता
सोमवार को नेता सदन सुभाष आर्य ने बताया कि पार्षदों को अभी तक बैठकों में शामिल होने के लिए 300 रुपये से लेकर 3 हज़ार रुपये तक का भत्ता मिलता है, जो कि नाकाफी है. क्योंकि इससे ज़्यादा तो बैठक के लिए आने जाने में ही खर्चा हो जाता है. ऐसे में पार्षदों के भत्ते में बढ़ोतरी की ज़रूरत महसूस की जा रही है.
आर्य ने बताया कि पार्षद भी किसी सांसद या विधायक की ही तरह जनप्रतिनिधी होता है और लोगों से मिलने-जुलने के लिए उसे ऑफिस भी चलाना होता है, जिसके खर्च को वो खुद ही उठाता है.
हर बैठक के लिए 1000 रुपये भत्ते का प्रस्ताव
सुभाष आर्य ने इन्हीं सब बातों को रेखांकित करते हुए सोमवार को प्रस्ताव रखा कि पार्षदों को मिलने वाले भत्तों में बढ़ोतरी की जाए. इस प्रस्ताव के मुताबिक, मेयर, डिप्टी मेयर, स्थाई समिति अध्यक्ष, नेता सदन, नेता विपक्ष का मानदेय 15 हज़ार रुपये प्रतिमाह तय किया जाए और हर बैठक के लिए उन्हें एक हजार रुपये का भत्ता दिया जाए.
इसमें प्रस्ताव किया है कि पार्षदों को हर महीने भत्ते के तौर पर 10 हज़ार रुपये, ऑफिस चलाने और स्टेशनरी के लिए प्रतिमाह 6 हज़ार रुपये, कंप्यूटर ऑपरेटर के लिए प्रतिमाह 5 हज़ार रुपये दिए जाए और आगंतुकों के लिए नाश्ते वगैरह के इंतजाम के लिए पार्षदों को प्रतिमाह 5 हज़ार रुपये दिए जाए.
इस प्रस्ताव को दिल्ली सरकार के पास भेजा जाएगा, ताकि उसे फिर केंद्र सरकार से हरी झंडी दिलाई जा सके. हालांकि दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच जारी टकराव को देखते हुए लगता नहीं कि इस प्रस्ताव को दिल्ली सरकार आगे बढ़ाएगी.