Advertisement

कैशलेस की तरफ बढ़ रहे हैं फैक्ट्री वर्कर्स

वहीं फैक्ट्री मालिक मुख्तार आलम जिनका बुक बाइंडिंग का काम हैं उन्होंने भी अपने वर्कर्स को ऑनलाइन सैलरी देना शुरू कर दिया हैं लेकिन उनके मुताबिक़ उनके कई वर्कर ऐसे हैं जिनके पास बैंक अकाउंट नही है,

कैशलेस हो रही फैक्ट्रियां कैशलेस हो रही फैक्ट्रियां
प्रियंका सिंह
  • नई दिल्‍ली,
  • 13 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:54 PM IST

नोटबंदी के बाद से कैशलेस इकॉनमी की तरफ तेज़ी से बढ़ते मार्केट को देखते हुए उस तबके के बारे में भी सोचना ज़रूरी हैं जो सिर्फ कैश पर गुज़ारा करते हैं. अगर फैक्ट्री लेबर और वर्कर्स की बात करें तो इन्हें तो इनकी सैलेरी कैश में ही मिलती हैं और इनमें से ज्यादातर वर्कर के पास बैंक अकाउंट भी नही हैं. अब ऐसे में कहा जा रहा हैं कि सरकार फैक्ट्री मालिकों को अपने वर्कर्स को ऑनलाइन पेमेंट करने का नियम बना सकती है.

Advertisement

ओखला में सन् 1980 से अपनी प्रिंटिंग के काम की फैक्ट्री चला रहे विनोद शर्मा के मुताबिक़ उन्होंने तो अपने कर्मचारियों को ऑनलाइन सैलरी देना शुरू भी कर दिया हैं. कर्मचारियों के मुताबिक़ पहले एक महीने पुराने नोटों की ही सैलरी दी जा रही थी लेकिन अब धीरे धीरे ऑनलाइन पेमेंट शुरू हो चुकी हैं जिससे कर्मचारी खुश भी हैं. लेकिन दूसरी तरफ लाइन में लग कर पैसे निकालने की वजह से दुखी भी हैं.

वहीं फैक्ट्री मालिक मुख्तार आलम जिनका बुक बाइंडिंग का काम हैं उन्होंने भी अपने वर्कर्स को ऑनलाइन सैलरी देना शुरू कर दिया हैं लेकिन उनके मुताबिक़ उनके कई वर्कर ऐसे हैं जिनके पास बैंक अकाउंट नही है, तो ऐसी हालत में उनकी छंटनी करनी पड़ रही है.

गौरतलब है कि फिलहाल कर्मचारियों को ऑनलाइन पेमेंट की आदत नही हैं इसीलिए उन्हें पैसे निकालने की झंझट परेशानी लग रही हैं और सबसे बड़ी बात आजकल कैश आसानी से मिल भी नहीं रहा हैं इसीलिए वर्कर्स को छोटी छोटी चीज़ों के लिए बहुत परेशान होना पड़ रहा हैं. 100 फ़ीसदी ऑनलाइन पेमेंट तभी संभव हैं जब इन वर्कर्स के पास बैंक अकाउंट होंगे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement