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सिंघु बॉर्डर पर पंजाब के किसान ने खाया जहर, अस्पताल में दम तोड़ा

सिंघु बॉर्डर पर पंजाब के रहने वाले अमरिंदर सिंह ने जहर खा लिया. इलाज के लिए उन्हें सोनीपत के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई. 

सिंघु बॉर्डर पर 40 साल के किसान ने की आत्महत्या (फाइल फोटो) सिंघु बॉर्डर पर 40 साल के किसान ने की आत्महत्या (फाइल फोटो)
पॉलोमी साहा/अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 10:45 PM IST
  • पंजाब के किसान ने की आत्महत्या
  • मृतक का नाम अमरिंदर सिंह
  • इलाज के दौरान तोड़ा दम

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन पिछले डेढ़ महीने से जारी है. इस दौरान अब तक कई किसानों की मौत हो चुकी है. शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर 40 साल के एक किसान ने आत्महत्या कर ली. पंजाब के रहने वाले अमरिंदर सिंह ने जहर खा लिया. इलाज के लिए उन्हें सोनीपत के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई.

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40 से ज्यादा दिनों से जारी इस आंदोलन के दौरान अब तक कई किसानों की मौत हो चुकी है. कुछ किसानों की ठंड के कारण मौत हुई तो कुछ ने खुदकुशी कर ली. 3 जनवरी को टिकरी और कुंडली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे दो किसानों की मौत हो गई थी. पहली मौत टिकरी बॉर्डर पर हुई. यहां मृतक किसान की पहचान जुगबीर सिंह के रूप में हुई. जबकि दूसरे किसान की मौत कुंडली बॉर्डर पर हुई. इनकी पहचान कुलबीर सिंह के रूप में हुई. 

किसानों की मौत को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार को घेरा भी था. प्रियंका गांधी ने प्रदर्शन के दौरान किसानों की लगातार हो रही मौत की घटनाओं पर चिंता जाहिर की. उन्होंने किसानों की मांग स्वीकार न करने पर केंद्र की मोदी सरकार को असंवेदनशील करार दिया.

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सिंघु बॉर्डर पर किसान ने दी जान

प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया था कि सर्द मौसम में दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसान भाइयों की मौत की खबरें विचलित करने वाली हैं. मीडिया खबरों के मुताबिक अभी तक 57 किसानों की जान जा चुकी है और सैकड़ों बीमार हैं. महीने भर से अपनी जायज मांगों के लिए बैठे किसानों की बातें न मानकर सरकार घोर असंवेदनशीलता का परिचय दे रही है.

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26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसान

किसान केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. सरकार और किसानों के बीच अब तक 8 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रही. किसान कानूनों को वापस लेने पर अड़े हैं, वहीं सरकार कानूनों में संशोधन की बात कह रही है. 

 

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