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टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने एंबुलेंस और दोपहिया बहनों के लिए छोड़ी सिर्फ 5 फीट सड़क

कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहे टिकरी बॉर्डर पर मौजूद किसानों ने काफी विचार-विमर्श के बाद दोपहिया और एंबुलेंस के लिए 5 फीट जगह छोड़कर सड़क के एक हिस्से को खोलने पर सहमति जताई है. यहां पैदल लोगों को भी जाने की अनुमति होगी.

Farmer's Protest Farmer's Protest
अमित भारद्वाज
  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 8:29 PM IST
  • कृषि कानूनों के खिलाफ अब भी किसान
  • टिकरी बॉर्डर पर एंबुलेंस के लिए छोड़ी 5 फीट सड़क

दिल्ली पुलिस द्वारा शुक्रवार को टिकरी और गाजीपुर में बैरिकेड्स हटाए गए. इसके बाद, संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को विरोध स्थलों पर आंतरिक बैठकें कीं ताकि यह तय किया जा सके कि वे सड़कें खोलने पर सहमत होंगे या नहीं.टिकरी में किसानों ने काफी विचार-विमर्श के बाद दोपहिया और एंबुलेंस के लिए 5 फीट जगह छोड़कर सड़क के एक हिस्से को खोलने पर सहमति जताई है. यहां पैदल लोगों को भी जाने की अनुमति होगी. हालांकि आवाजाही की अनुमति केवल सुबह 7 बजे से रात 8 बजे के बीच ही दी जाएगी. बैठक में जो निर्णय लिया गया, उसके अनुसार रात में सुरक्षा कारणों से मार्ग बंद रहेगा.

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इंडिया टुडे से बात करते हुए, किसान बलकरण सिंह बराड़ ने कहा, "हम विरोध स्थल पर डेरा डाले हुए लोगों की सुरक्षा के कारण चार पहिया और अन्य भारी वाहनों पर सहमत नहीं हैं, हालांकि दो पहिया वाहनों की अनुमति होगी." दरअसल, किसान नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया  पुलिस ने लोगों को ये महसूस कराने के लिए सड़कों को अवरुद्ध किया था कि किसानों ने सड़कों ब्लॉक किया है. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने टिकरी सीमा पर बैरिकेड्स की आठ परतों में से चार को हटाना शुरू कर दिया था.

किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता, तब तक टिकरी में यातायात के मुक्त प्रवाह की अनुमति नहीं दी जाएगी. भारी वाहनों की आवाजाही की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे सुरक्षा संबंधी चिंताएँ पैदा होंगी, लखीमपुर जैसी घटना दोहराई जा सकती है. उन्होंने बताया कि कल एसकेएम और हरियाणा-दिल्ली पुलिस के बीच हुई बातचीत के दौरान आपसी सहमति से तय हुआ कि दोपहिया और पैदल चलने वालों की आवाजाही के लिए 5 फीट सड़क खोली जाएगी. लेकिन दिल्ली पुलिस ने रात करीब साढ़े आठ बजे सभी बैरिकेडिंग हटा दी. टिकरी में किसानों ने भारी संख्या में विरोध किया. इसके बाद पुलिस ने दोबारा बैरिकेड्स लगाए और किसानों ने मंच व टेंट की सुरक्षा के लिए खुद बेरिकेड्स बनाए. 

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बूटा सिंह ने कहा-  भारी वाहनों की आवाजाही की अनुमति देने से आंदोलनकारी किसानों की जान जोखिम में पड़ जाएगी। अगर कुछ तत्व यहां लखीमपुर को हिंसा की तरह दोहराते हैं, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?

 

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