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किसानों के समर्थन में सोमवार को AAP कार्यकर्ता पार्टी ऑफिस के बाहर करेंगे सामूहिक उपवास

गोपाल राय ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि आंदोलन में 11 किसानों की जान जा चुकी है, लेकिन केंद्र सरकार, बीजेपी के नेता, मंत्री अहंकार में चूर हैं.

गोपाल राय बोले किसानों के समर्थन में सामूहिक उपवास (फाइल फोटो) गोपाल राय बोले किसानों के समर्थन में सामूहिक उपवास (फाइल फोटो)
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 3:39 PM IST
  • AAP कार्यकर्ता करेंगे सामूहिक उपवास
  • किसानों के समर्थन में रखेंगे उपवास
  • सोमवार को बिना झंडे-टोपी के करेंगे उपवास

किसान आंदोलन रविवार को 18वें दिन भी जारी है. आज राजस्थान के किसानों ने भी आंदोलन में शामिल होने का ऐलान किया है. किसानों ने कहा है कि वो जयपुर दिल्ली हाईवे आज ब्लॉक करेंगे, इसके साथ ही 14 दिसंबर को किसानों ने भूख हड़ताल करने की भी धमकी दी है. उनके समर्थन में आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भी बिना झंडा टोपी के उपवास करने का ऐलान किया है. दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि किसान आंदोलन के समर्थन में आम आदमी पार्टी सोमवार को पार्टी मुख्यालय ITO पर सुबह 10 से शाम 5 बजे तक सामूहिक उपवास करेगी. 

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उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि आंदोलन में 11 किसानों की जान जा चुकी है, लेकिन केंद्र सरकार, बीजेपी के नेता, मंत्री अहंकार में चूर हैं. सरकार सोचती है कि वे आंदोलन को तोड़ देंगे, बदनाम कर देंगे और किसान घर चले जाएंगे. लेकिन सरकार गलतफहमी में है. प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, कृषि मंत्री सभी को अहंकार छोड़ना चाहिए. 

गोपाल राय ने कहा कि सोमवार को किसानों ने सामूहिक उपवास का ऐलान किया है, उनके समर्थन में देशभर में AAP के कार्यकर्ता बिना झंडा-टोपी के उपवास करेंगे. कल सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक ITO पार्टी ऑफिस पर उपवास किया जाएगा. AAP हर कदम पर किसानों के साथ खड़ी है, पार्टी के विधायकों, कार्यकर्ताओं द्वारा सेवादारी का काम जारी रहेगा. 

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वहीं पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए गोपाल राय ने कहा कि पीएम मोदी को बनारस में नहीं, फिक्की के अधिवेशन में उद्योगपतियों के साथ वार्ता में नहीं बल्कि किसानों से सीधे बातचीत करनी चाहिए. छह राउंड की वार्ता हुई किसानों ने मंत्रियों के समझाया, सरकार ने भी प्रेजेंटेशन दिया, सरकार ने माना कि कृषि बिल में कमियां हैं. जब खुद मान रहे हैं कि कमियां हैं तो इसे वापस लेने की जिम्मेदारी केंद्र की बनती है. 

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उन्होंने कहा कि अगर ये किसान माओवादी, आतंकवादी हैं, तो विज्ञान भवन में सरकार वार्ता किनसे कर रही थी? माओवादियों से आतंकवादियों से या खालिस्तानियों से वार्ता कर रहे थे. 

 

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