
कृषि कानून 2020 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को लेकर सियासत शुरू हो गई है. आम आदमी पार्टी ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर आंदोलन रोकने और बीजेपी की मदद करने के आरोप लगाए हैं. आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर और मोदी जी मिलकर किसानों के आंदोलन को खत्म कराना चाहते हैं. वह बीजेपी की धुरी पर नाच रहे हैं
राघव ने कहा कि अमरिंदर सिंह भाजपा के मुख्यमंत्री हैं. भाजपा से सांठगांठ के साथ वे किसानों के आंदोलन को रोकने के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और पीएम मोदी की दोस्ती जगजाहिर है, रोजाना फोन पर बात और हर महीने मुलाकात लम्बे समय से चली आ रही है.
आप का कहना है कि, इन तीन काले कानूनों के बारे में कांग्रेस ने 2019 के मेनिफेस्टो में वादा किया था. कहा गया था कि हम एपीएमसी मार्केट खत्म कर देंगे. इन कानूनों को बनाने से पहले कैप्टन अमरिंदर भी हाई पावर कमेटी का हिस्सा थे और उन्होंने सहमति दी थी
आप ने सीएम पर लगाए ये आरोप
आप का कहना है कि फरवरी 2020 में जब किसानों तक इन कानूनों की बात पहुंची, तब चंडीगढ़ में ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई गई थी. उस मीटिंग में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि हम पंजाब विधानसभा का सत्र बुलाकर इस पर चर्चा करेंगे, लेकिन कैप्टन अमरिंदर ने बुलाने से मना कर दिया था. जब किसानों से जुड़े संगठनों ने 26 नवम्बर को दिल्ली आने की घोषणा की, तब कैप्टन अमरिंदर इस आंदोलन को लीड करने के लिए भी आगे नहीं आए.
आप ने कहा कि किसान दिल्ली में अलग-अलग जगह जाकर प्रदर्शन करना चाहते हैं तो पीएम मोदी और अमित शाह उसकी अनुमति नहीं दे रहे. कल अमित शाह के बयान के बाद कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि देश के गृहमंत्री जो कह रहे हैं, वो ठीक कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो शर्तें अमित शाह रख रहे हैं, वो किसान मान लें. इससे स्पष्ट है कि कैप्टन अमरिंदर भाजपा की धुरी पर नाच रहे हैं, वे भाजपा के सीएम बन गए हैं. कैप्टन अमरिंदर जिस भाजपा का साथ दे रहे हैं, उस भाजपा ने किसानों पर लाठी चलवाई, आंसू गैस के गोले चलवाए, उनके एक मंत्री ने किसानों को गुंडा कहा.
आप ने सवाल किया कि कैप्टन अमरिंदर ने किसानों के आंदोलन को लीड क्यों नहीं किया. अगर किसी राज्य का मुख्यमंत्री किसानों को लेकर दिल्ली आता, तो क्या भाजपा की मजाल थी कि आंसू गैस और वाटर कैनन चलवाती. एक तरफ 22 साल के फौजी ने सीमा पर अपने प्राणों की आहुति दी, दूसरी तरफ उनके पिता दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. हमारे जीते जी ये कानून दिल्ली में लागू नहीं होंगे.