
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की कथित ‘लैंड पूलिंग’ नीति के तहत किफायती आवास परियोजना उपलब्ध कराने के नाम पर विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रोफेसरों से कथित तौर पर 11 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी करने के आरोप में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक पूर्व कर्मचारी (63) को गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी की पहचान हरियाणा के गुरुग्राम निवासी पी डी गायकवाड़ के रूप में हुई है. उन्होंने कहा कि प्रोफेसर की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है .
पुलिस के अनुसार, आरोप है कि 2015 में, गायकवाड़ ने किफायती आवास प्रदान करने का दावा करते हुए ‘नोबल सामाजिक-वैज्ञानिक कल्याण संगठन’ (एनएसएसडब्ल्यूओ) का गठन किया.
उन्होंने बताया कि वह विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल साइंसेज’ में एक वैज्ञानिक अधिकारी के रूप में कार्यरत था . उसने विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रोफेसरों को संगठन का सदस्य बनने का कथित तौर पर लालच दिया.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संगठन के अध्यक्ष के रूप में गायकवाड़ ने उन्हें डीडीए की कथित भूमि-पूलिंग नीति के तहत एक प्रस्तावित आवास परियोजना का विवरण प्रदान किया, जिसके बारे में उसने बताया कि एनएसएसडब्ल्यूओ प्रस्तावित एल-ज़ोन में भूमि खरीदने की प्रक्रिया में है .
उन्होंने बताया कि प्रभावितों ने 2015 में इस योजना में भूमि की बुकिंग शुरू कर दी और जब उन्हें यह नहीं मिला तो उन्होंने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज करायी जिसकी जांच के बाद पुलिस ने गायकवाड़ को गिरफ्तार कर लिया .