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रेहड़ी-पटरी वाला बन गया कई लग्जरी कारों का मालिक, दिल्ली में लॉरेंस बिश्नोई के नाम पर डॉक्टरों से वसूली में 4 गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने खुद को गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का सहयोगी बताकर दिल्ली के डॉक्टरों से जबरन वसूली करने के मामले में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से एक ग्राम प्रधान सहित गिरोह के चार जालसाजों को गिरफ्तार किया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 10:45 PM IST

दिल्ली पुलिस ने खुद को गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का सहयोगी बताकर दिल्ली के डॉक्टरों से जबरन वसूली करने के मामले में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से एक ग्राम प्रधान सहित गिरोह के चार जालसाजों को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने बताया कि गिरोह पहले लोगों को उनकी संपत्तियों पर मोबाइल टावर लगाने के बहाने ठगने में शामिल था.

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान ऋषि शर्मा (41), अरुण वर्मा (38), सबल सिंह (45) और हर्ष (38) के रूप में हुई है. पुलिस ने बताया कि सबल मैनपुरी जिले के एक गांव का 'प्रधान' है. उन्होंने कहा कि हर्ष ने एक रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदार के रूप में अपना करियर शुरू किया था, लेकिन अब वह कई शानदार कारों का मालिक है.

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10 जनवरी को मिला धमकी भरा पत्र
दीप चंद बंधु अस्पताल के CMO डॉ. अनिमेष द्वारा उत्तर पश्चिमी जिले के भारत नगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने के बाद जांच शुरू हुई. डॉ. अनिमेष ने अपनी शिकायत में कहा कि 10 जनवरी को उन्हें लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से एक धमकी भरा पत्र मिला, जिसमें सुरक्षा राशि (प्रोटेक्शन राशि) बैंक खाते में भेजने की मांग की गई थी.

पुलिस उपायुक्त (उत्तर पश्चिम) भीष्म सिंह ने कहा, 'इसके चलते FIR दर्ज की गई. पूरे मामले की जांच के लिए एक टीम का गठन किया गया.' डीसीपी ने कहा कि आरोपियों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कई अभियान चलाए गए.

ई-रिक्शा संचालक पकड़ा गया
पहला अभियान पत्र में बताए गए बैंक खाते का पता लगाना था. जांच खाते के विश्लेषण से शुरू हुई और इससे गाजियाबाद के अरुण वर्मा का पता चला. डीसीपी ने कहा, '38 वर्षीय ई-रिक्शा संचालक अरुण को पकड़ लिया गया और उसने कमीशन के बदले गिरोह के लिए कई बैंक खाते खोलने की बात कबूल की. ​​दूसरा अभियान खरीद और निगरानी पर नजर रखना था.'

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आगे की जांच से पता चला कि खाते से लेनदेन पूर्वोत्तर दिल्ली के लोनी रोड पर एक शराब की दुकान पर खरीदारी से जुड़े थे. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस टीम ने एक प्रमुख संदिग्ध ऋषि शर्मा की पहचान की. ऋषि को बाद में पूर्वी दिल्ली के गोकलपुर इलाके से गिरफ्तार किया गया. पूछताछ के दौरान उसने दो सहयोगियों सबल और हर्ष की संलिप्तता का खुलासा किया. टीम ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड और स्थानीय नेताओं की सूची का उपयोग करके मैनपुरी के एक ग्राम प्रधान सबल को भी पकड़ लिया.

डीसीपी ने कहा, 'सबल को आगरा से पकड़ा गया. सबल की निशानदेही पर पुलिस ने हर्ष उर्फ ​​अखिलेश को भी पकड़ लिया, जिसने रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदार के रूप में शुरुआत की थी और फर्जी गतिविधियों के जरिए महंगी कारों का मालिक बन गया.'

डाक के जरिए भेजा पत्र
गिरोह ने दिल्ली में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डॉक्टरों के डेटा एकत्र किये जिसमें उनके संपर्क के डिटेल शामिल थे. इसके बाद समूह ने डाक के माध्यम से धमकी भरे पत्र भेजे, जिसमें इसके सदस्यों द्वारा बैंक खाते में पेमेंट करने की मांग की गई. ऋषि ने 2015 में अपना व्यवसाय विफल होने के बाद अपराध की ओर रुख किया. अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से मोबाइल टावर की स्थापना से जुड़े 140 जाली आवेदन पत्र, 11 एटीएम कार्ड और कई स्मार्टफोन बरामद किए.

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