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'ओवर स्मार्ट मत बनो...', जब 20 साल की लड़की को सुप्रीम कोर्ट ने दी नसीहत, जानें पूरा मामला

भोपाल से प्रेमी संग भागी युवती को मिल रही कथित धमकियों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया. साथ ही नसीहत देते हुए युवती को फटकार भी लगाई. इसके साथ ही युवती को बरगला कर उसका अपहरण करने के आरोपी युवक की अग्रिम जमानत की अर्जी भी कोर्ट ने ये कहते हुए खारिज कर दी कि मामला बहुत गड़बड़ है.

प्रतीकात्मक तस्वीर. प्रतीकात्मक तस्वीर.
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2023,
  • अपडेटेड 10:54 AM IST

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की रहने वाली 20 साल की युवती ने सुप्रीम कोर्ट में जज के सामने अपने परिजनों से खुद की जान को खतरा बताया. जिसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि लड़की को सुरक्षा प्रदान की जाए. लेकिन इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने लड़की को भी फटकार लगाई. दरअसल, यह लड़की का किसी युवक के साथ अफेयर था. उसकी खातिर वह घर से भाग गई थी.

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लड़की ने अपने ही पिता और भाई पर टॉर्चर का आरोप लगाया. कहा कि उसका भाई उसका पीछा कर रहा है और उसे जबरदस्ती अपने घर ले जाएगा. वह अपने भाई के साथ जाना नहीं चाहती है. वह वारणसी में अपने प्रेमी के साथ रहती है और वापस भोपाल यानी अपने घर नहीं जाना चाहती.

सुनवाई के दौरान बीस वर्षीय युवती ने जब जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की बात नहीं सुनी तो उन्होंने दो टूक कहा कि अपनी उम्र से ज्यादा स्मार्ट मत बनो. जिन पर तुम टॉर्चर करने का इल्जाम लगा रही हो वो तुमसे प्रेम करते हैं और उन्हें तुम्हारी चिंता है.

दरअसल, मामला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का है, जहां एक युवती अपने ही घर के ड्राइवर के साथ भागकर दिल्ली आ गई. घर वालों ने ड्राइवर के खिलाफ अपहरण का इल्जाम लगाते हुए एफआईआर दर्ज करा दी. एफआईआर में वाराणसी के मूल निवासी युवक पर इससे पहले भी दो लड़कियों को बहला-फुसला कर उनको भगाने यानी अपहरण की एफआईआर दर्ज होने का हवाला दिया गया है.

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आरोपी ड्राइवर ने भोपाल की जिला अदालत फिर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई. लेकिन उसकी अर्जी हर जगह खारिज हो गई. अब उसने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई जिस पर मंगलवार को सुनवाई हो रही थी.

जब जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की अवकाश कालीन पीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए आया. तभी एक वकील के मोबाइल पर वीडीओ कॉल आया. कॉल करने वाली युवती ने जज से बात कराने की गुजारिश की. फिर जज को मोबाइल दिया गया. सवाल जवाब शुरू हुए.

जस्टिस त्रिवेदी - बताओ क्या कहना है!
युवती ने सीधे कहा कि वह वही लड़की है जिसके मामले की सुनवाई चल रही है. उसे अपने परिवार वालों से अपनी जान का खतरा है.
जस्टिस त्रिवेदी ने पूछा कि आपको ये कैसे पता चला कि अभी आपके केस की सुनवाई चल रही है? 
युवती ने कहा कि उसके एक दोस्त ने बताया है.
कोर्ट - किस दोस्त ने बताया?
युवती - वो मैं आपको ऐसे नहीं बता सकती. मेरी जान को घर वालों से खतरा है. लेकिन मैं इसी कोर्ट परिसर में मौजूद हूं.

जज ने युवती की बताई निशानदेही पर उसे कोर्ट में बुलवाया. सादे लिबास में महिला पुलिसकर्मियों के साथ युवती को लाया गया. युवती कोर्ट रूम में आई तो जस्टिस त्रिवेदी ने पूछा कि आखिर मसला क्या है? युवती ने सीधे सीधे परिवार वालों पर आरोप लगाया कि वो उसे आगे पढ़ने नहीं दे रहे हैं. वो पढ़ना चाहती है तो घरवाले टॉर्चर करते हैं.

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जस्टिस त्रिवेदी ने युवती को दिल्ली पुलिस के सुरक्षा घेरे में युवती की इच्छा के मुताबिक वाराणसी भेजने के इंतजाम करने का आदेश दिया. लेकिन कोर्ट में युवती और जस्टिस त्रिवेदी के बीच हुए संवाद ने सबका ध्यान खींचा. जब युवती ने अपने पिता और भाई पर टॉर्चर करने के इल्जाम लगाए तो जस्टिस त्रिवेदी के धैर्य का बांध भी टूट गया.

उन्होंने कहा, ''बस करो! तुम अपनी उम्र से ज्यादा ओवर स्मार्ट बनने की कोशिश मत करो. जिसे तुम टॉर्चर कह रही हो वो उनकी चिंता और तुम्हारे प्रति प्रेम है. मुझे ये मामला गड़बड़ लगता है. आप जा सकती हैं.''

इसके बाद पुलिस सुरक्षा में युवती को कोर्ट से बाहर के जाया गया. हालांकि, इसके बाद कोर्ट ने आपसी सलाह के बाद आरोपी युवक की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी. इसके बाद आरोपी युवक के पास पुलिस या फिर अदालत के आगे आत्म समर्पण करने के सिवा कोई विकल्प नहीं है. गिरफ्तारी के बाद उसे जमानत के लिए नियमित अर्जी लगानी होगी.

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