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क्या उपराज्यपाल के दौरे से सुधरेंगे भलस्वा लैंडफिल साइट के दिन?

एलजी के दौरे के अगले ही दिन आजतक की टीम ने भलस्वा लैंडफिल साइट के पास बसे भलस्वा डेयरी इलाके का दौरा किया और जानने की कोशिश की कि क्या सिर्फ एलजी कै दौरे से वहां के हालात बदल जाएंगे?

लैंडफिल साइट में आए दिन आग लगने की घटना सामने आती रहती है लैंडफिल साइट में आए दिन आग लगने की घटना सामने आती रहती है
रवीश पाल सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 2:36 AM IST

दिल्ली के नए उपराज्यपाल अनिल बैजल ने शनिवार को भलस्वा लैंडफिल साइट का दौरा कर वहां के हालातों का जायजा लिया था. एलजी के दौरे के अगले ही दिन आजतक की टीम ने भलस्वा लैंडफिल साइट के पास बसे भलस्वा डेयरी इलाके का दौरा किया और जानने की कोशिश की कि क्या सिर्फ एलजी कै दौरे से वहां के हालात बदल जाएंगे? क्या एलजी उस कालोनी में गए, जहां रहने वाले लोगों पर इस लैंडफिल साइट का सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है.

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भलस्वा डेयरी इलाके में आबादी तेजी से बढ़ी है और वहां पर जाने के बाद ही तस्वीर सामने आती है कि कैसे कूड़े के इस पहाड़ के आसपास कॉलोनी विकसित हो गई है. इलाके में रहने वालों की मानें तो इस लैंडफिल साइट के कारण यहां रहना दूभर हो गया है. आए दिन लैंडफिल साइट में आग लगने के कारण पूरा इलाका धुंए से भर जाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है.

हालांकि यहां सिर्फ धुंआ ही नहीं, लैंडफिल साइट से निकलने वाली जहरीली गैसों ने भी यहां रहने वालों के सामने खासी मुश्किलें खड़ी की हुई है. इलाके के निवासियों का कहना है कि सुबह और शाम के वक्त लैंडफिल साइट से बदबू के कारण बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है. उनका कहना है कि एलजी अनिल बैजल से पहले भी कई नेता आए और आश्वासन देकर चले गए. लेकिन जब इलाके के सुधार की बात आती है तो चीज़ें आश्वासन से आगे नहीं बढ़ पाईं.

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भलस्वा लैंडफिल साइट का मेकओवर करेगी एमसीडी
वर्षों से लगातार आ रहे कूड़े के कारण भलस्वा लैंडफिल साइट किसी बड़े पहाड़ में तब्दील हो गई है, लेकिन एमसीडी की मानें तो अब इस लैंडफिल साइट के दिन जल्द ही फिरने वाले हैं. नॉर्थ एमसीडी कमिश्नर पीके गुप्ता ने बताया कि जल्द ही इस लैंडफिल साइट पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाया जाएगा. जहां से रोज़ाना लगभग 2 हज़ार मीट्रिक टन कूड़े से 24 मेगावॉट बिजली बनाई जाएगी. इसके अलावा नेशनल हाइवे अथॉरिटी से भी एमसीडी की बात चल रही है जिससे कूड़े का इस्तेमाल नेशनल हाइवे बनाने के लिए किया जाए और लैंडफिल साइट से कूड़े को कम किया जा सके.

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