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EXCLUSIVE: 'विकास' का फंड भी खा रहा है जीएसटी, पार्षदों ने लिखी चिट्ठी

पार्षदों ने मांग की है कि जीएसटी के बाद अब उनको मिलने वाले फंड में एक चौथाई की बढ़ोतरी की जाए ताकि विकास कार्य के मिलने वाले फंड पर इसका असर ना पड़े.

पार्षदों ने लिखी चिट्ठी पार्षदों ने लिखी चिट्ठी
रोहित मिश्रा/कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 15 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 8:15 AM IST

ये जानकर आपको हैरानी होगी कि जीएसटी की मार पार्षद फंड पर भी नजर आने लगा है. इस मामले की शिकायत पार्षदों ने मेयर से की है. आपको बता दें कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पार्षदों को 1 करोड़ रुपये मिलते हैं ताकि वो अपने इलाके में काम करा सकें लेकिन जीएसटी का साया उनके फंड पर भी पड़ा है. पार्षदों ने इस समस्या को दक्षिणी दिल्ली की मेयर कमलजीत सेहरावत को चिठ्ठी लिखकर बताया है.

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आयानगर के कांग्रेसी पार्षद वेद प्रकाश ने कहा है इस मुद्दे को हाउस में भी उठाया जाएगा. दरअसल, पार्षदों के मिलने वाले फंड पर पहले कोई टैक्स नहीं लगता था लेकिन जीएसटी के दायरे में पार्षदों के मिलने वाला फंड भी आ गया है. जिसके तहत करीब एक चौथाई हिस्सा यानी तकरीबन 25 लाख रुपये सिर्फ जीएसटी के तहत चला जाता है और इसी मुद्दे को लेकर पार्षदो में जबरदस्त रोष है. कई पार्षदों ने चिठ्ठी लिखकर इस मुद्दे पर अपना रोष जताया है. उनका कहना है कि ये फंड है जो विकास कार्यों के लिए मिलता है लेकिन इस पर जीएसटी लगने से पार्षदों को मिलने वाले फंड में करीब एक चौथाई की कटौती हो गई है.

पार्षदों ने मांग की है कि जीएसटी के बाद अब उनको मिलने वाले फंड में एक चौथाई की बढ़ोतरी की जाए ताकि विकास कार्य के मिलने वाले फंड पर इसका असर ना पड़े. जिसको लेकर अब एक करोड़ की बजाए एक करोड़ 25 लाख रुपये की मांग की गई है. जिसको लेकर कमिश्नर से लेकर मेयर तक का दरवाजा पार्षद खटखटा रहे हैं. पार्षदों ने धमकी भी दी है कि इस मुद्दे को हाउस में भी उठाएंगे.

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