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हम कोई तीस हजारी कोर्ट नही हैं! जानें सुनवाई के दौरान क्यों भड़के सुप्रीम कोर्ट के जज

सुप्रीम कोर्ट गेन बिटकॉइन मामले में सुनवाई कर रही है. 2018 में ये 2 हजार करोड़ का गेन बिटकॉइन घोटाला अब 20 हजार करोड़ का हो गया है. इसमें आरोपी अमित भारद्वाज के भाई अजय भारद्वाज ने अपने खिलाफ दर्ज केसों को रद्द करने की सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.

सांकेतिक फोटो सांकेतिक फोटो
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 18 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 6:22 PM IST
  • 2 हजार करोड़ का गेन बिटकॉइन घोटाला अब 20 हजार का हुआ
  • आरोपी अजय ने केस करने की रद्द करने की याचिका लगाई थी

गेन बिटकॉइन घोटाले मामले में सोमवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने घोटाले के आरोपी अजय भारद्वाज को कड़ी फटकार लगाई और चेतावनी भी दी. कोर्ट ने अजय की केस रद्द करने वाली याचिका पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने अजय भारद्वाज से कहा कि हम कोई तीस हजारी कोर्ट (दिल्ली) नहीं हैं, जो कोर्ट में बात कहकर मुकर जाएंगे. आपके इस आचरण पर आपकी याचिका खारिज की जा सकती है.

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सुप्रीम कोर्ट ने पिछले आदेश का पालन नहीं होने पर नाराजगी जताई और कहा कि आप (अजय) हमारे पहले के आदेश का पालन करें, फिर सुनवाई की जाएगी. कोर्ट के पिछले आदेश के मुताबिक, अजय भारद्वाज को अपने क्रिप्टो वॉलेट के यूजरनेम और पासवर्ड ED को देने थे. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से बिट क्वाइन पर अपनी स्थिति साफ करने को कहा था और पूछा था कि केंद्र सरकार इस पर अपना रुख साफ करे कि बिटक्वाइन लीगल है या नहीं.

बिटक्वॉइन में निवेश किया, रिटर्न नहीं किया तो FIR 

दरअसल, 2018 में ये 2 हजार करोड़ का गेन बिटकॉइन घोटाला मामला अब 20 हजार करोड़ का हो गया है. इसमें आरोपी अमित भारद्वाज के भाई अजय भारद्वाज ने अपने खिलाफ दर्ज केसों को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उसने मल्टीलेवल मार्केटिंग के तहत बिटक्वाइन में निवेश करने पर हर महीने 18 प्रतिशत का रिटर्न दिए जाने की बात कही थी, जब निवेशकों को रिटर्न नहीं मिले तो उन्होंने केस दर्ज कराया.

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ईडी ने अजय भारद्वाज की याचिका का विरोध किया 

वहीं, ED ने अजय भारद्वाज की याचिका का विरोध किया और कहा कि जांच के लिए आरोपियों को नोटिस दिया गया, इसके बावजूद सहयोग नहीं कर रहे हैं. बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों पर किसी भी दंडात्मक कार्रवाई किए जाने पर रोक लगा दी थी.

 

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