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कभी दिल्ली का विलेन, कभी लाइफ लाइन... हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज की कहानी

दिल्ली में आई बाढ़ के बीच हथिनीकुंड बैराज का नाम बार-बार चर्चा में रहा. टीवी-अखबारों में लगातार आता रहा कि हथिनीकुंड बैराज से यमुना में पानी छोड़ा जा रहा है, जिसकी वजह से खतरा बढ़ रहा है. लेकिन हथिनीकुंड बैराज हर बार दिल्ली के लिए विलेन बनकर ही नहीं आता है.

हथिनीकुंड बैराज (फाइल फोटो) हथिनीकुंड बैराज (फाइल फोटो)
राम किंकर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 9:52 PM IST

यमुना नदी हरियाणा के पल्ला से दिल्ली में दाखिल होती है और दिल्ली के जैतपुर से आगे उत्तर प्रदेश की सीमा में दाखिल हो जाती हैं. आंकड़ों के हिसाब से यमुना में 26 ब्रिज और 3 बैराज हैं, जिनसे लोगों की आवाजाही और पानी को मैनेज किया जाता है.

राजधानी दिल्ली में पिछले दिनों जब बाढ़ आई तो 40 सालों का रिकॉर्ड टूट गया. इस दौरान जलस्तर 208.66 मीटर पर पहुंच गया था. एक तरफ इस बाढ़ से लोगों को परेशानी हुई तो दूसरी इसपर सिसायत भी खूब हुई.

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आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि हथिनीकुंड बैराज के पानी का वितरण ठीक नहीं हुआ. वहीं बीजेपी शासित हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इसे नकार दिया.

ऐसे में समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर क्यों हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ा जाए तो दिल्ली में बाढ़ का खतरा हो जाता है और गर्मियों के मौसम में बैराज से पानी ना छोड़ा जाए तो दिल्ली वालों को पानी की कमी हो जाती है.

पहले पानी की अधिकता से दिल्ली में बाढ़ क्यों आ जाती है इसको समझ लेते हैं. हरियाणा जिले के यमुनानगर में हथिनी कुंड बैराज का निर्माण साल 1996 में शुरू होकर साल 1999 में पूरा हुआ. इसके बाद इसको पूरी तरह खोल दिया गया. 168 करोड़ रुपए की लागत से बने 360 मीटर लंबे बैराज का संचालन हरियाणा कर रहा है जिसमें करीब 10 गेट पानी के नियंत्रण के लिए बनाए गए हैं. बैराज इतना महत्वपूर्ण है कि देश के पांच राज्यों में पानी की आपूर्ति करता है.

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कब कितना पानी यमुना नदी में छोड़ा जाता है?

यमुना में पानी के फ्लो वोल्यूम पर निर्भर करता है कि बैराज से कब और कितना पानी छोड़ा जाएगा. इससे तीन तरह के वॉटर चैनल निकलते हैं जिनसे पानी की आपूर्ति की जाती है. वेस्टर्न यमुना कैनाल (हरियाणा की तरफ जाती है जिससे सिंचाई भी हो जाती है), ईस्टर्न यमुना कैनाल यूपी की तरफ जाती है जिससे सिंचाई होती है और मुख्य यमुना का पानी दिल्ली की तरफ आता है.

सुपरिटेंडेंट इंजीनियर आर.एस.मित्तल का कहना है कि कितना पानी कब छोड़ा जाएगा ये सेंट्रल वॉटर कमीशन की गाइडलाइन पर आधारित है. बैराज किसी भी बांध से इस मायने में अलग होता है कि यहां पानी को स्टोर नहीं कर सकते हैं. हथिनीकुंड बैराज पहाड़ों से आने वाले पानी को कंट्रोल करके कैनाल में वितरण करता है और पहाड़ों पर बारिश अधिक होने की स्थिति में पानी का डिस्ट्रीब्यूशन कैनाल में न करके पानी को यमुना नदी में खोलकर बैराज को बचाया जाता है.

एक लाख क्यूसेक तक पानी आने पर चैनल रेगुलेट होता है उससे ज्यादा होने पर चैनल का गेट बंद कर पानी डाउन में खोल दिया जाता है, जैसे डैम में ज्यादा पानी आने पर फ्लड गेट खोलना पड़ता है. बता दें कि बैराज 1 लाख क्यूसेक तक पानी रेगुलेट करता है.

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कब कितना पानी कैनाल में खोला जाता है?

ईस्ट या वेस्ट कोई भी कैनाल कितनी चलेगी वो लिखित में बैराज प्रशासन को दिया जाता है उतना ही पानी छोड़ा जाता है और साथ ही ये अलग अलग कैनाल की कैपेसिटी पर निर्भर करता है. नहर नदी के पानी को कंट्रोल करके बनाई जाती है ताकि सिंचाई और जल आपूर्ति हो सके. इसे कंट्रोल करके उसकी दिशा को बदला भी जा सकती है पर नदी के साथ ऐसा करना मुमकिन नहीं है.

 

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