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ब्रेन ट्यूमर के मरीज की याचिका पर एम्स और केंद्र सरकार को नोटिस

दिल्ली हाइकोर्ट ने एम्स, केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को एक ब्रेन ट्यूमर मरीज की याचिका पर नोटिस देकर 24 अगस्त तक जबाव मांगा है.

मरीज प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने में असमर्थ मरीज प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने में असमर्थ
पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 12 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 2:34 PM IST

दिल्ली हाइकोर्ट ने एम्स, केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को एक ब्रेन ट्यूमर मरीज की याचिका पर नोटिस देकर 24 अगस्त तक जबाव मांगा है. ब्रेन ट्यूमर की आखिरी स्टेज पर पहुंच चुकी 45 साल की मीरा देवी ने याचिका लगाई है कि उसे एम्स ने जल्दी से जल्दी इलाज की जरूरत है. लेकिन देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स ने मीरा की सर्जरी करने के लिए उन्हें दो साल बाद की तारीख दी है. मीरा दो बच्चों की मां है. उन्होंने कोर्ट को गुहार लगाई है कि सर्जरी नहीं हुई तो कुछ महीने भी वो जिंदा नहीं रहेगी.

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सर्जरी के लिए अगस्त 2018 की तारीख
एम्स ने मीरा को सर्जरी के लिए अगस्त 2018 की तारीख दी है. जब मीरा ने एम्स के डॉक्टरों से जल्दी तारीख देने की बात की तो उन्हें प्राइवेट वार्ड बुक करवाने की सलाह दी गई. एम्स में प्राइवेट वार्ड की कीमत 1.25 लाख रुपए है. मजबूर मीरा ने उसके बाद दिल्ली हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मीरा ने जल्द से जल्द मुफ्त इलाज पाने के लिए कोर्ट में अपनी याचिका दर्ज कराई. मीरा ब्रेन ट्यूमर की एडवांस स्टेज से गुजर रही हैं लिहाजा उसे जल्द से जल्द ब्रेन सर्जरी की जरूरत है. अग्रवाल ने बताया कि मीरा की जान खतरे में है. डॉक्टरों ने बताया है कि अगर मीरा को जल्द से जल्द इलाज नहीं मिल पाया तो वो अगले कुछ महीनों में दम तोड़ देंगी. ऐसे में एम्स ने उन्हें दो साल बाद की जो तारीख दी है तब तक उनका जिंदा रहना मुमकिन नहीं है.

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मरीज प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने में असमर्थ
याचिका में मीरा ने कोर्ट को कहा है कि इतने गंभीर मरीज को इलाज के लिए इतनी लंबी तारीख देना सही नहीं है. देश में सभी को समय से इलाज पाने का पूरा अधिकार है. मीरा के पति रामजी सिंह 9000 रुपए सैलरी पाते हैं, लिहाजा उनके लिए अपनी पत्नी का प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराना संभव नहीं है. अब कोर्ट ही शायद अपने आदेश से मीरा की जान बचा पाए.

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