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हाईकोर्ट ने शेल्टर होम की कमी पर दिल्ली सरकार को जारी किया नोटिस

दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में दलील दी गई कि कई बार शेल्टर होम में असामाजिक तत्व महिलाओं और बच्चो के साथ छेड़छाड़ करते है. साथ ही बेघर होने की वजह से पुलिस इनकी रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करती है. लिहाजा महिलाओं, लड़कियों और 12 साल से कम उम्र के बच्चों को अलग से होम शेल्टर बनाकर दिए जाए.

फाइल फोटो फाइल फोटो
पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 21 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 2:22 PM IST

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शेल्टर होम की कमी के चलते लगातार हो रही मौतों को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. मामले में अदालत ने सरकार से चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई चार मई को होगी.

दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में दलील दी गई कि कई बार शेल्टर होम में असामाजिक तत्व महिलाओं और बच्चो के साथ छेड़छाड़ करते है. साथ ही बेघर होने की वजह से पुलिस इनकी रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करती है. लिहाजा महिलाओं, लड़कियों और 12 साल से कम उम्र के बच्चों को अलग से होम शेल्टर बनाकर दिए जाए. इसके अलावा शेल्टर होम कम होने के कारण दिल्ली में 2004 से 2015 के बीच 34 हज़ार से ज्यादा लोग फुटपाथ और सड़कों पर अपनी जान गंवा चुके हैं.

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एक से 19 जनवरी तक 119 बेघरों की मौत
2016 में एक से 18 जनवरी के बीच 140 बेघर लोगों की कड़कड़ाती ठंड में सड़कों पर ही मौत हो गई. याचिका में ये भी कहा गया है कि एक से 19 जनवरी 2017 के बीच 119 लोगो की मौत ठंड से ठिठुर कर सड़को पर हुई. याचिका में कहा गया है कि जरुरत के मुताबिक दिल्ली में शेल्टर होम न होने से लोगों की मौत हर साल सड़कों पर हो रही है. जब दिसंबर-जनवरी की सर्दी और मई-जून की गर्मी अपने चरम पर होती है, तो यह आंकड़ा काफी बढ़ जाता है.

कई याचिकाओं पर पहले भी हो चुकी है सुनावई
दिल्ली में शेल्टर होम की कमी को लेकर पहले भी कई याचिकाओं पर हाईकोर्ट सुनवाई कर चुका है. साथ ही कई सख्त आदेश भी सरकार को दिए गए, लेकिन इसके बावजूद भी स्थिति में कुछ ख़ास सुधार नहीं आया. हाईकोर्ट इस मामले में इसलिए भी गंभीरता दिखा, क्योंकि देश की राजधानी मे 11 साल में 34 हज़ार से ऊपर हुई मौतों पर आंखें बंद नहीं की जा सकती. खास कर तब जब इसे रोकने की सरकार ईमानदारी से कोशिश नहीं कर रही है.

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