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DU में महात्मा गांधी से पहले सावरकर के बारे में पढ़ेंगे स्टूडेंट्स, कोर्स में हुआ बदलाव

दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) की एकेडमिक काउंसिल की बैठक में एक बड़ा निर्णय लिया गया है. राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में हाल ही में बदलाव किए गए हैं. DU में राजनीति विज्ञान बीए ऑनर्स के तीन साल के कोर्स में महात्मा गांधी के बारे में पढ़ने को नहीं मिलेगा. तीन साल के कोर्स में अब वीर सावरकर के बारे में पढ़ाया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि इससे पहले कभी भी सावरकर पर एक पूर्ण पेपर नहीं पढ़ाया गया.

DU में बीए के कोर्स में सावरकर को 5वें सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा. महात्मा गांधी के बारे में 7वें सेमेस्टर में पढ़ने को मिलेगा. (फाइल फोटो) DU में बीए के कोर्स में सावरकर को 5वें सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा. महात्मा गांधी के बारे में 7वें सेमेस्टर में पढ़ने को मिलेगा. (फाइल फोटो)
मिलन शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 28 मई 2023,
  • अपडेटेड 8:11 PM IST

दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) में बीए ऑनर्स में पॉलिटिकल साइंस के कोर्स में अब महात्मा गांधी से पहले वीडी सावरकर के बारे में पढ़ाया जाएगा. 5वें सेमेस्टर में हिंदुत्व विचारक सावरकर ने महात्मा गांधी की जगह ली है. अब गांधी के बारे में 7वें सेमस्टर में पढ़ाया जाएगा. इस संबंध में एकेडमिक काउंसिल की बैठक में फैसला लिया गया है. हालांकि, शिक्षकों के एक गुट ने इस फैसले का विरोध किया है. 

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ऐसे में अब यदि कोई छात्र 4 के बजाय 3 साल के बाद बीए राजनीति विज्ञान ऑनर्स पाठ्यक्रम से बाहर निकलता है तो उसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के योगदान के बारे में जानने को नहीं मिलेगा. इसके बजाय छात्र अब हिंदुत्व के राजनीतिक विचारक वीडी सावरकर पर एक पेपर का अध्ययन करेंगे. सूत्रों का कहना है कि इससे पहले कभी भी सावरकर पर एक पूर्ण पेपर नहीं पढ़ाया गया है.

नया पाठ्यक्रम में क्या रखा गया..

यूनिट 1 - सावरकर और भारतीय इतिहास लेखन
यूनिट 2- सावरकर और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
यूनिट 3- हिंदुत्व और हिंदू धर्म
यूनिट 4 - सावरकर और भारत में भाषा के प्रश्न
इकाई 5- धर्म परिवर्तन
यूनिट 6- छुआछूत और जातिगत समीकरण

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'गांधी से पहले सावरकर को समझेंगे छात्र'

फिलहाल, सेमेस्टर 5 में गांधी को समझने के बजाय अब छात्र पहले सावरकर को समझने के लिए अध्ययन करेंगे. आजतक से बातचीत में एकेडमिक काउंसिल के मेंबर आलोक राजन पांडे ने कहा, गांधी को अब सावरकर की जगह पर सातवें सेमेस्टर में रखा गया है. इसी बात पर समस्या है. सावरकर को हर हाल में पढ़ाएं, लेकिन जब यह गांधी की जगह पर किया जा रहा है तो हमने इस पर आपत्ति जताई है.

'...इसलिए सबसे पहले गांधी के बारे में पढ़ाया जाए'

उन्होंने आगे कहा, जो स्पष्टीकरण दिया गया है, वह एक क्रोनोलॉजी है. गांधी, सावरकर और अंबेडकर से पहले आए, इसलिए, उनका (गांधी) सावरकर से पहले अध्ययन किया जाना चाहिए. प्रोफेसर पांडे ने कहा, भारत के राष्ट्रीय आंदोलनों में, स्वाधीनता आंदोलनों में, जाति-प्रथा में महात्मा गांधी का योगदान अतुलनीय है और छुआछूत के उन्मूलन में उनके कार्यों को नकारा नहीं जा सकता है.

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'मसले को आगे भी उठाएंगे'

विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हिस्से के रूप में चार साल के कार्यक्रम को अपनाया है और छात्रों के पास तीन साल की स्नातक डिग्री या चार साल के स्नातक कार्यक्रम का विकल्प चुनने का विकल्प है. हम 9 जून को जीएनटी की कार्यकारी परिषद की बैठक में इस मुद्दे को फिर से उठाएंगे. फिलहाल, इस मसले पर हमने DU के कुलपति का पक्ष भी जानना चाहा है. बयान आने के बाद हम अपडेट करेंगे.

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